बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की नामांकन प्रक्रिया के बीच भाजपा में बगावत के सुर और तेज हो गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र और 2015 में भागलपुर विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार रह चुके अर्जित शाश्वत चौबे ने आज नामांकन स्थल पर पहुंचने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरने से इनकार कर दिया। अर्जित ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह फैसला भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के कहने पर लिया गया है, जिससे पार्टी के आंतरिक कलह की आशंका और बढ़ गई है।
अर्जित शाश्वत चौबे पिछले 12 वर्षों से भागलपुर सीट पर सक्रिय थे और भाजपा टिकट की प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। हालांकि, पार्टी ने इस बार रोहित पांडेय को दोबारा उम्मीदवार घोषित कर दिया, जिससे अर्जित नाराज हो गए थे। 14 अक्टूबर को उम्मीदवारों की घोषणा के तुरंत बाद अर्जित ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। उनके समर्थकों ने नामांकन रसीद (एनआर) भी कटवा ली थी, और 17 अक्टूबर को नामांकन भरने की तैयारी थी। लेकिन आज नामांकन स्थल पर पहुंचने के बाद उन्होंने अचानक फैसला बदल लिया।
अर्जित ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मैं शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर यह कदम उठा रहा हूं। पार्टी के हित में कोई भी फैसला गलत नहीं हो सकता। मैं भागलपुर की जनता के बीच रहूंगा और सेवा जारी रखूंगा।” उनके इस बयान से साफ है कि भाजपा आलाकमान ने हस्तक्षेप किया है, ताकि बगावत का रूप न ले सके। हालांकि, अर्जित के करीबी सूत्रों का कहना है कि यह फैसला भावनात्मक रूप से कठिन था, लेकिन पार्टी लाइन का पालन किया गया। इस घटना से भाजपा में भागलपुर सीट पर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। रोहित पांडेय ने कहा कि वे जल्द ही नामांकन भरेंगे, लेकिन अर्जित के समर्थकों की नाराजगी पार्टी के लिए चुनौती बनी हुई है। इसके अलावा, भाजपा नेत्री प्रीति शेखर और नेता प्रशांत विक्रम भी निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी में थे, लेकिन शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप से यह मामला भी शांत हो सकता है।






















