बिहार की सियासत में अचानक एक तस्वीर वायरल होती है। तस्वीर में दो चेहरे—एक तरफ जन सुराज के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर, दूसरी ओर सिवान के पूर्व सांसद और भाजपा नेता ओम प्रकाश यादव। सोशल मीडिया पर तस्वीर आते ही कयासों की आंधी चल पड़ी—क्या ओम प्रकाश भाजपा से नाराज़ हैं? क्या वह जन सुराज में जा रहे हैं? क्या सिवान की सियासत में एक नया गठबंधन आकार ले रहा है? लेकिन जब खुद ओम प्रकाश यादव सामने आए, तो उन्होंने इन तमाम अटकलों पर सीधी चोट की। उनकी बातों में राजनीतिक चतुराई भी थी और गहरी पीड़ा भी।
“हां तस्वीर मेरी है, लेकिन इसका मतलब पार्टी बदलना नहीं!”
ओम प्रकाश यादव ने स्पष्ट कहा कि “हम उस तस्वीर को नकार नहीं रहे, वो हमारी ही है। लेकिन हमने कहीं नहीं कहा कि भाजपा छोड़ रहे हैं या जन सुराज में जा रहे हैं। राजनीति में मेल-मुलाकात चलती रहती है।” जब पूछा गया कि प्रशांत किशोर उनके आवास पर आने वाले थे, तो उन्होंने हँसी में लपेटकर जवाब दिया कि “ब्राह्मण देवता का स्वागत करना चाहिए, लेकिन हमने मना कर दिया, क्योंकि विवाद हो गया था।”
नाराज हैं, लेकिन पार्टी नहीं छोड़ेंगे – ‘षड्यंत्र हुआ है, पर हम टूटने वाले नहीं’
ओम प्रकाश यादव ने भाजपा के भीतर अंदरूनी राजनीति और खुद के साथ हुए ‘अन्याय’ पर खुलकर बात की। “हमारे जैसे नेताओं का टिकट काटा गया, लेकिन सतीश दुबे को राज्यसभा भेजा गया, जनक राम को मंत्री बनाया गया… हमसे क्या गलती हुई जो हमको सजा मिली?” वे कहते हैं कि “हम उस पार्टी में हैं, जिसने हमें सम्मान दिया। लेकिन अब लगातार हमारी सीट जेडीयू को दी जा रही है। क्या ये न्याय है?” जब उनसे पूछा गया कि क्या वो जन सुराज में जा सकते हैं, उन्होंने साफ इंकार करते हुए कहा कि “हमको किसी पार्टी में जाने की ज़रूरत नहीं, हममें इतनी क्षमता है कि निर्दलीय भी चुनाव जीत सकते हैं।”
दरौंदा विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने के संकेत देते हुए उन्होंने कहा कि “अगर पार्टी टिकट नहीं देती है, तो हम अपने लोगों से राय लेकर फैसला लेंगे और संभव है दरौंदा से निर्दलीय लड़ें।”
“अपराध और अपराधियों के विरोधी हैं, किसी की निजी दुश्मनी नहीं”
पूर्व सांसद ने एक बार फिर से 故 शहाबुद्दीन और उनके परिवार के खिलाफ अपने पुराने स्टैंड को दोहराते हुए कहा कि “हम उनके कुकृत्य के विरोधी हैं, न कि उनके बेटे ओसामा से कोई व्यक्तिगत रंजिश है। लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का हक है।”
इस एक तस्वीर ने भले ही सियासी तूफान खड़ा किया हो, लेकिन ओम प्रकाश यादव के बयानों ने यह साबित कर दिया है कि वो न तो हताश हैं, न ही जल्दबाज़। भाजपा में रहकर भी असंतोष की चिंगारी उनके भीतर सुलग रही है, और अगर पार्टी ने एक बार फिर उनकी अनदेखी की, तो सिवान की राजनीति में निर्दलीय नाम से बड़ा विस्फोट हो सकता है।