नई दिल्ली : भारत में बढ़ते गर्मी के संकट और हीटवेव से होने वाली मौतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। यह कदम एक जनहित याचिका (PIL) के जवाब में उठाया गया है, जिसमें पिछले साल हीटवेव और गर्मी से संबंधित बीमारियों के कारण 700 से अधिक लोगों की मौत का हवाला दिया गया था। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकारें हीटवेव प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करें।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मामले में गृह मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और अन्य संबंधित पक्षों से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। यह याचिका पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने हीटवेव से निपटने के लिए बेहतर पूर्वानुमान, गर्मी की चेतावनी प्रणाली, चौबीसों घंटे हेल्पलाइन और अन्य सुविधाओं की मांग की है।
याचिका में बताया गया कि भारत में हीटवेव का दायरा लगातार बढ़ रहा है। पहले यह मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत तक सीमित था, लेकिन अब यह पूर्वी तट, पूर्व, उत्तर-पूर्व, प्रायद्वीपीय, दक्षिणी और दक्षिण-मध्य क्षेत्रों तक फैल गया है। यह जानकारी भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की एक रिपोर्ट में भी सामने आई है। इस साल अप्रैल से जून तक IMD ने सामान्य से अधिक गर्मी की चेतावनी दी थी। अप्रैल 2025 में ही तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में तापमान 44 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील आकाश वशिष्ठ ने कोर्ट को बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव और गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, “बार-बार भविष्यवाणियां की गई हैं कि ‘हीट स्ट्रेस’ अधिक तीव्र होगा, जिसके परिणामस्वरूप मौतों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।” याचिका में यह भी जोर दिया गया कि 2019 में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी दिशानिर्देशों के बावजूद, कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक अनिवार्य ग्रीष्म कार्य योजना को लागू नहीं किया है।
इसके साथ ही याचिका में गर्मी से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजे और अत्यधिक गर्मी की अवधि के दौरान कमजोर वर्गों को न्यूनतम मजदूरी या अन्य सामाजिक वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की मांग की गई है। याचिका में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 35 का हवाला देते हुए केंद्र की वैधानिक जिम्मेदारियों को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें सरकार को आपदा प्रबंधन के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट का यह नोटिस ऐसे समय में आया है, जब भारत में गर्मी की लहरें एक गंभीर चुनौती बनती जा रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण 21वीं सदी में वैश्विक तापमान और हीटवेव की तीव्रता में वृद्धि होगी, जिसका सबसे ज्यादा असर भारत जैसे देशों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि हीटवेव से होने वाली मौतें और बीमारियां बेहद तेजी से बढ़ सकती हैं, खासकर उन लोगों में जो पहले से कमजोर हैं।
इस मामले में केंद्र सरकार और संबंधित मंत्रालयों की ओर से जवाब का इंतजार है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम देश में हीटवेव प्रबंधन को लेकर एक ठोस नीति और कार्रवाई की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।