नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर सख्त टिप्पणी करते हुए तमिलनाडु की राज्य संचालित शराब कंपनी TASMAC के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगा दी। कोर्ट ने ED पर “सारी सीमाएं लांघने” और शासन की संघीय संरचना का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। यह मामला तमिलनाडु में शराब दुकानों के लाइसेंस आवंटन में कथित अनियमितताओं और 1,000 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा है।
ED पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सुनवाई के दौरान ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू से कहा, “आपकी ED सारी हदें पार कर रही है।” कोर्ट ने सवाल किया कि जब राज्य सरकार ने पहले ही इस मामले में 2014 से 2021 के बीच 41 FIR दर्ज की हैं, तो ED ने TASMAC पर छापेमारी क्यों की? कोर्ट ने यह भी पूछा, “आप राज्य द्वारा संचालित TASMAC पर कैसे छापेमारी कर सकते हैं?”
क्या है पूरा मामला?
ED ने मार्च 2025 में दावा किया था कि उसने तमिलनाडु में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले का पर्दाफाश किया है। जांच में पाया गया कि निजी डिस्टिलरीज और TASMAC अधिकारियों के बीच अनुचित सांठगांठ थी, जिसमें आपूर्ति ऑर्डर हासिल करने के लिए रिश्वत और नकद लेनदेन शामिल थे। ED ने TASMAC के कई परिसरों पर छापेमारी की थी, जिसके बाद तमिलनाडु की DMK सरकार और TASMAC ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। राज्य सरकार का कहना है कि ED ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और यह केंद्र द्वारा संघीय ढांचे का उल्लंघन है।
तमिलनाडु सरकार का पक्ष
तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट में तर्क दिया कि ED बिना किसी ठोस आधार के “रोविंग और फिशिंग जांच” कर रही है। सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान TASMAC कर्मचारियों, खासकर महिला कर्मचारियों, को परेशान किया गया और उनके फोन व निजी उपकरण जब्त कर लिए गए, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
ED का जवाब
ED ने कोर्ट में दलील दी कि यह मामला 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय भ्रष्टाचार से जुड़ा है और उसने इसमें सीमाएं पार नहीं की हैं। जांच में यह भी सामने आया कि TASMAC दुकानों द्वारा MRP से अधिक राशि वसूलने, डिस्टिलरी कंपनियों द्वारा रिश्वत देने और बार लाइसेंस टेंडर में हेरफेर जैसे कई गंभीर मुद्दे शामिल हैं।
यह मामला एक बार फिर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि ED की कार्रवाई शासन की संघीय अवधारणा का उल्लंघन करती है। इससे पहले भी तमिलनाडु सरकार और ED के बीच कई बार तनातनी देखी जा चुकी है, जैसे कि अवैध रेत खनन मामले में।
सुप्रीम कोर्ट ने ED को नोटिस जारी किया है और जांच पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। यह फैसला केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के बंटवारे और जांच एजेंसियों की भूमिका पर एक नई बहस को जन्म दे सकता है।