नयी दिल्ली: स्तनपान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह माताओं को अपने बच्चों को स्तनपान कराने के लिए पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराए। अदालत ने साफ किया कि स्तनपान केवल एक निजी प्रक्रिया नहीं, बल्कि महिला के प्रजनन अधिकार का अहम हिस्सा है और यह मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
अदालत ने यह भी कहा कि केवल सरकार ही नहीं, बल्कि नागरिकों को भी सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक स्थानों या कार्यस्थलों पर स्तनपान कराने की प्रथा को कलंकित न किया जाए। बता दें, जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि स्तनपान बच्चे के जीवन, अस्तित्व और स्वस्थ विकास का अभिन्न हिस्सा है। यह मां के अधिकारों से जुड़ा हुआ है और इसलिए राज्य का यह कर्तव्य बनता है कि वह माताओं को अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए उचित माहौल और सुविधाएं प्रदान करे।