नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिकाकर्ता पर 7 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और उसकी जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे “प्रचार हित याचिका” करार देते हुए याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाई। यह याचिका चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई के हाल के महाराष्ट्र दौरे के दौरान प्रोटोकॉल उल्लंघन के कथित मामले को लेकर दायर की गई थी।
सीजेआई बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, “यह कोई जनहित याचिका नहीं, बल्कि सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए दायर की गई प्रचार हित याचिका है।” कोर्ट ने इस मामले को तूल देने की कोशिश को गलत ठहराया और याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, चीफ जस्टिस बीआर गवई 14 मई को अपने शीर्ष पद पर पदोन्नति के बाद पहली बार महाराष्ट्र दौरे पर गए थे। इस दौरान उनकी अगवानी के लिए राज्य के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई के पुलिस आयुक्त मौजूद नहीं थे, जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई थी। सीजेआई ने इस घटना को लेकर कहा था, “मैं आमतौर पर प्रोटोकॉल में विश्वास नहीं करता, लेकिन संविधान के प्रत्येक अंग को दूसरे अंग का सम्मान करना चाहिए। जब चीफ जस्टिस और इस राज्य का बेटा पहली बार महाराष्ट्र आता है, तो प्रोटोकॉल का पालन होना चाहिए।”
हालांकि, इस घटना के बाद तीनों शीर्ष अधिकारियों ने तुरंत अपनी गलती सुधारते हुए माफी मांगी और अगले कार्यक्रम में सीजेआई के साथ मौजूद रहे। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बयान जारी कर कहा था कि सभी संबंधित पक्षों ने खेद व्यक्त किया है और इस मामले को “बढ़ा-चढ़ाकर पेश” किया गया है। कोर्ट ने इसे यहीं समाप्त करने की बात कही थी।
याचिकाकर्ता की मांग और कोर्ट की प्रतिक्रिया
याचिकाकर्ता, अधिवक्ता शैलेंद्र मणि त्रिपाठी ने अपनी PIL में तीनों अधिकारियों के खिलाफ All India Service (Discipline and Appeal) Rules, 1969 के तहत जांच की मांग की थी। लेकिन सीजेआई गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने इसे सस्ती लोकप्रियता पाने का प्रयास करार दिया। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों ने अपनी गलती के लिए तुरंत माफी मांगी थी और मामले को सुलझा लिया गया था। ऐसे में इस याचिका का कोई आधार नहीं है।
महाराष्ट्र सरकार ने दी थी सफाई
महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि सीजेआई बीआर गवई को स्थायी राज्य अतिथि का दर्जा दिया गया है। महाराष्ट्र राज्य अतिथि नियम, 2004 के तहत, राज्य अतिथियों के लिए प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित किया जाता है। इसके तहत हवाई अड्डों पर स्वागत और विदाई की व्यवस्था की जाती है, और जिला स्तर पर जिलाधिकारी कार्यालय इसकी जिम्मेदारी संभालता है।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने हाल के दिनों में ऐसी याचिकाओं पर सख्त रुख अपनाया है, जिन्हें वह तुच्छ या प्रचार के लिए दायर मानता है। इससे पहले अप्रैल 2025 में भी कोर्ट ने एक वकील पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसने बार-बार तुच्छ याचिकाएं दायर की थीं। कोर्ट का कहना है कि जनहित याचिकाओं का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए और यह केवल सार्वजनिक हित के लिए ही दायर की जानी चाहिए, न कि निजी या प्रचार के उद्देश्य से।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जनहित याचिकाओं का सही मकसद अब भी बरकरार है, या इसका इस्तेमाल महज सुर्खियां बटोरने के लिए किया जा रहा है।