नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका (PIL) को खारिज करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई जनहित नहीं दिखता, बल्कि यह केवल प्रचार के उद्देश्य से दायर की गई लगती है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एन कोटेश्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता वकील विशाल तिवारी से सवाल किया, “आप इस मुद्दे की गंभीरता को क्यों नहीं समझते? आपने इस तरह की याचिका क्यों दायर की? क्या इसके पीछे आपका मकसद प्रचार करना है? क्या आप पर भारी जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए?” कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह की याचिकाएं सुरक्षा बलों का मनोबल तोड़ सकती हैं।
वकील विशाल तिवारी ने अपनी याचिका में कश्मीर के सुदूर पहाड़ी इलाकों में पर्यटकों की सुरक्षा के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह पहली बार हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाया गया है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले भी कई ऐसी याचिकाएं दाखिल की हैं, जिनका सार्वजनिक हित से कोई लेना-देना नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट ने हमले की निंदा करते हुए इसे “कायरतापूर्ण आतंकी कृत्य” करार दिया था। कोर्ट ने हमले के पीड़ितों और उनके परिवारों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए 2 मिनट का मौन भी रखा। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में किसी भी तरह की PIL को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। इससे पहले 1 मई 2025 को भी कोर्ट ने हमले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित करने की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था।