प्रयागराज : भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में नवनिर्मित अधिवक्ता चैंबर्स और मल्टीलेवल पार्किंग बिल्डिंग का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की और इन सुविधाओं के लिए फंड उपलब्ध कराने पर उनका आभार व्यक्त किया। जस्टिस गवई, जो पहले बौद्ध और दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं, ने इस मौके पर न्यायपालिका और कार्यपालिका के सहयोग को ऐतिहासिक बताया।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में भारतीय संविधान की 75 साल की यात्रा को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संविधान ने देश को एकजुट और मजबूत रखा है, खासकर तब जब पड़ोसी देशों में अस्थिरता देखी जाती है। जस्टिस गवई ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का जिक्र करते हुए कहा कि 1949 में संविधान सभा में उनके द्वारा दी गई चेतावनी—सामाजिक और आर्थिक असमानता को दूर करने की जरूरत—आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने बताया कि न्यायपालिका और कार्यपालिका ने मिलकर कई ऐसे कानून बनाए, जिनसे सामाजिक-आर्थिक समानता को बढ़ावा मिला, जैसे जमींदारों से जमीन लेकर किसानों को मालिक बनाना और वर्किंग व लेबर क्लास को सशक्त करना।
यह उद्घाटन समारोह मालवा की रानी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर हुआ, जिन्हें सामाजिक न्याय और कल्याणकारी शासन के लिए जाना जाता है। जस्टिस गवई ने इसे गौरव का क्षण बताते हुए कहा कि यह इमारत पूरे विश्व में अधिवक्ताओं के लिए सबसे भव्य और सुविधायुक्त है। उन्होंने कहा, “मैंने देश-विदेश में कई जगहें देखीं, लेकिन कहीं भी वकीलों के लिए इतनी बड़ी सुविधा नहीं देखी।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट की नई सुविधाएं, ₹680 करोड़ की लागत
नवनिर्मित चैंबर्स और मल्टीलेवल पार्किंग बिल्डिंग को ₹680 करोड़ की लागत से बनाया गया है। यह परियोजना इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में ही स्थित है और इसे अधिवक्ताओं, वादकारियों और न्यायिक अधिकारियों की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की और कहा कि एकीकृत कोर्ट परिसर बनने के बाद सभी न्यायिक सेवाएं एक छत के नीचे उपलब्ध होंगी। हालांकि, उन्होंने यह भी चिंता जताई कि मल्टीलेवल पार्किंग स्ट्रक्चर अक्सर अप्रयुक्त रहते हैं।
जस्टिस गवई ने प्रयागराज को ‘पावरफुल लोगों की भूमि’ करार देते हुए इसके ऐतिहासिक योगदान को याद किया। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद, कानूनी हस्तियों जैसे मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, और साहित्यकारों जैसे महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन और सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जिक्र किया।
मुख्य न्यायाधीश ने इस परियोजना के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों की सराहना की, जिन्होंने इसके लिए अपने बंगले तक त्याग दिए। उन्होंने कहा, “बार और बेंच को मिलकर काम करना होगा, तभी न्याय का रथ आगे बढ़ेगा।” इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जेके माहेश्वरी, जस्टिस पंकज मित्तल, जस्टिस मनोज मिश्रा, इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली, दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, यूपी के महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा सहित कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
जस्टिस गवई ने इस बात पर जोर दिया कि यह परियोजना सिर्फ जजों और वकीलों के लिए नहीं, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी है, जो न्याय की आस में कोर्ट आते हैं। उन्होंने बताया कि पास के भूखंड पर एक और बड़ा निर्माण होगा, जिसमें वादकारियों, खासकर महिलाओं और विकलांगों के लिए विशेष सुविधाएं होंगी।
यह उद्घाटन समारोह न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और सभी हितधारकों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।