नई दिल्ली: वक्फ अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अहम सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस संवेदनशील मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने हालांकि इस दिन कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया, लेकिन संकेत दिए कि वह कुछ विवादित प्रावधानों को स्थगित करने पर विचार कर रहा था।
तीन अहम प्रावधानों पर कोर्ट की आपत्ति
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून के तीन ऐसे प्रावधानों पर विशेष रूप से आपत्ति जताई, जिन पर अंतरिम रोक लगाई जा सकती थी:
वक्फ बाई यूजर के तहत घोषित संपत्तियों को आगे अधिसूचित न किया जाए।
कलेक्टर कार्यवाही जारी रख सकते हैं, लेकिन कानून की शर्तें तत्काल प्रभाव से लागू न हों।
वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुस्लिम सदस्य ही शामिल हों – इस एक्सक्लूसिव प्रावधान पर भी कोर्ट ने सवाल उठाया।
कोर्ट ने साफ किया कि इन मुद्दों पर वह जल्द अंतरिम आदेश देने को तैयार था, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अतिरिक्त समय की मांग की।
केंद्र ने मांगा दो हफ्ते का समय, कोर्ट ने दिखाई नरमी
केंद्र सरकार ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ्तों की मोहलत मांगी और यह भी कहा कि यदि आवश्यक हो, तो इस मामले की रोजाना सुनवाई की जा सकती है। इस पर कोर्ट ने सहमति जताई कि मामला संवेदनशील और जटिल है और सुनवाई छह से आठ महीने तक चल सकती है। चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा, “आमतौर पर हम इस तरह के मामलों में अंतरिम आदेश नहीं देते, लेकिन यह मामला अपवाद हो सकता है।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोर्ट विधायिका के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देगा।
अंतरिम रोक क्यों टली?
हालांकि कोर्ट अंतरिम आदेश के लिए तैयार दिख रहा था, लेकिन बहस के दौरान समय की कमी (शाम 4 बजे तक) के चलते मामला स्थगित कर दिया गया। अब अगली सुनवाई गुरुवार, 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगी।