मुंबई : राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की नेता और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने गुरुवार को खुलासा किया कि वह पहलगाम हमले को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग वाली विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की चिट्ठी पर हस्ताक्षर क्यों नहीं कर सकीं। सुले ने बताया कि वह उस समय एक ऑल पार्टी डेलिगेशन के साथ चार देशों की यात्रा पर थीं, जहां वह भारत का प्रतिनिधित्व कर रही थीं।
सुप्रिया सुले ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मैं उस समय कतर, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र और इथियोपिया की यात्रा पर थी। यह दौरा देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए था और मैंने इसमें अपने देश के प्रति विश्वास और आस्था दिखाई। इस वजह से मैं उस चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं कर पाई, जिसमें संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी।”
सुले ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का मानना है कि इस मुद्दे पर अभी विशेष सत्र की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत सरकार का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी चल रहा है। ऑपरेशन सिंदूर को 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। सुले ने कहा, “हम इस मामले पर संसद के मानसून सत्र में सरकार से सवाल करेंगे।” सरकार ने हाल ही में घोषणा की है कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त 2025 तक आयोजित होगा।
सुले ने अपने विदेश दौरे के बारे में बताते हुए कहा कि सभी चार देशों ने भारत के साथ मजबूत एकजुटता दिखाई और आतंकवाद की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “ये देश भारत को महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की भूमि के रूप में देखते हैं। यह दौरा बहुत फायदेमंद रहा।”
बता दें कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (I.N.D.I.A.) के 16 दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। इस पत्र में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के साथ-साथ पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को कथित समर्थन पर चर्चा करने की बात कही गई थी। सुले ने यह भी बताया कि उन्होंने कांग्रेस नेताओं को सूचित किया था कि वह भारत लौटने के बाद इंडिया गठबंधन की बैठकों में शामिल होंगी।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम के पास बैसारन वैली में हुए आतंकी हमले में कई लोग हताहत हुए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पहले द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली थी, लेकिन बाद में 26 अप्रैल को उन्होंने अपनी बात वापस लेते हुए इसे संचार त्रुटि करार दिया और भारतीय खुफिया एजेंसियों पर हमले में शामिल होने का आरोप लगाया। जवाब में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया गया।
सुले के इस बयान ने विपक्षी एकता और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने की रणनीति को लेकर एक नई चर्चा छेड़ दी है।