बिहार की राजनीति का रणभूमि एक बार फिर से गूंज उठा है। इंडिया टुडे-सीवोटर के ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे ने एनडीए के पक्ष में हवा का रुख और तेज कर दिया है। सर्वेक्षण के अनुसार, अगर आज लोकसभा चुनाव हुए तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 33 से 35 सीटों पर जीत दर्ज कर सकता है। जबकि पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में एनडीए को 29 सीटों पर जीत मिली थी।
सर्वे का खुलासा: NDA को 52% वोटशेयर!
सर्वेक्षण के अनुसार, एनडीए का वोट शेयर 47% से छलांग लगाकर 52% तक पहुंच सकता है, जबकि कांग्रेस-आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को महज 42% वोट ही मिलने का अनुमान है। यह अंतर केवल 10% नहीं, बल्कि बिहार की सियासत में “जीत और हार के बीच की खाई” है।
नीतीश-भाजपा की ‘एकता’ बनी गेम-चेंजर
सीवोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने अपने रिपोर्ट के बारे में मीडिया को बताया कि बिहार का चुनावी गणित को “सीधा और सपाट” है। उनके अनुसार, “यहां दिल्ली जैसा विभाजित मतदान नहीं। अगर भाजपा, जेडीयू और एलजेपीआर एकजुट रहीं, तो महागठबंधन के लिए 5-7 सीटें भी बड़ी उपलब्धि होगी।” यह एकता ही एनडीए का सबसे बड़ा हथियार है। नीतीश कुमार, जिन्हें कुछ महीने पहले तक ‘राजनीतिक दिवालिया’ बताया जा रहा था, अब एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी के सबसे मजबूत दावेदार बनकर उभरे हैं।
महागठबंधन: टूटते सपने और बिखरता मोर्चा
कांग्रेस और तेजस्वी यादव की आरजेडी के गठजोड़ को सर्वेक्षण ने करारा झटका दिया है। 5-7 सीटों का अनुमान उनकी रणनीति पर सवाल खड़ा करता है। महागठबंधन जातिगत समीकरणों को तोड़ने में नाकाम रहा, जबकि एनडीए ने जदयू – एलजेपीआर के माध्यम से दलित और पिछड़े वोटों को साध लिया। तेजस्वी यादव का ‘युवा चेहरा’ और कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व भी बिहार में जमीनी स्तर पर असरदार साबित नहीं हो पा रहा।
विधानसभा चुनाव: 2025 की जंग की झलक
लोकसभा सर्वे के ये आंकड़े आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भी एक संकेत हैं। एनडीए की एकजुटता अगर बनी रही, तो महागठबंधन के पास बचाव के लिए शायद ही कोई रणनीति बचे।