हैदराबाद: तेलंगाना बीजेपी को सोमवार को एक बड़ा झटका लगा, जब गोशामहल से विधायक और पार्टी के फायरब्रांड नेता टी राजा सिंह ने अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। राज्य में नेतृत्व को लेकर चल रही तनातनी के बीच यह फैसला सामने आया है। अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए राजा सिंह ने बीजेपी के तेलंगाना इकाई के प्रमुख जी किशन रेड्डी को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं के साथ “धोखा” का आरोप लगाया।
नेतृत्व विवाद का कारण रिपोर्ट्स के अनुसार, तेलंगाना बीजेपी में रामचंद्र राव को पार्टी की कमान सौंपे जाने की अटकलों ने इस विवाद को और हवा दी। राजा सिंह ने आरोप लगाया कि राज्य में एक “पर्दे के पीछे से सब कुछ संभालने वाले शख्स” के निजी हितों ने पार्टी के हितों पर भारी पड़ दिया है। उन्होंने कहा, “मैं चुप बैठकर यह दिखा नहीं सकता कि सब कुछ ठीक है। यह फैसला मेरे लिए कठिन था, लेकिन जरूरी था।”
हिंदुत्व के प्रति प्रतिबद्धता हालांकि पार्टी छोड़ने के बावजूद राजा सिंह ने हिंदुत्व की विचारधारा और धर्म की सेवा के प्रति अपनी निष्ठा जताई। उन्होंने कहा, “बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद भी मैं हिंदू समुदाय की आवाज बनकर रहूंगा, और अब मेरी आवाज में और ताकत होगी।” अपने पत्र में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष से तेलंगाना के नेतृत्व पर पुनर्विचार करने की अपील की। पत्र के अंत में उन्होंने “जय हिंद, जय श्री राम” का नारा लिखा।
विवादास्पद इतिहास और राजनीतिक पृष्ठभूमि टी राजा सिंह का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है। 2017 में “हैदराबाद के ओल्ड सिटी को मिनी पाकिस्तान” कहने और 2024 में गोवा में बांग्लादेशी झंडा फाड़ने जैसे बयानों के कारण वे चर्चा में रहे। उनके खिलाफ 105 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें 18 सांप्रदायिक हैं। 2022 में पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी के बाद उनकी पार्टी से निलंबन की कार्रवाई हुई थी, जो 2023 में वापस ली गई थी। इससे पहले भी वे तीन बार पार्टी छोड़ चुके हैं, यह दर्शाता है कि उनका बीजेपी के साथ रिश्ता हमेशा तनावपूर्ण रहा है। #### तेलंगाना बीजेपी के लिए चुनौती तेलंगाना में बीजेपी की स्थिति पहले से ही भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और अन्य दलों के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही है। हालिया लोकसभा चुनावों में पार्टी ने आठ सीटें जीतीं, लेकिन राज्य इकाई में आंतरिक मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। फरवरी 2025 में नालगोंडा में जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर प्रदर्शन इसका एक उदाहरण है। राजा सिंह के इस्तीफे से पार्टी को संगठनात्मक रूप से और कमजोर होने का खतरा हो सकता है। यह घटना तेलंगाना बीजेपी के भविष्य और राज्य में हिंदुत्व की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ मानी जा रही है। आगे की स्थिति पर सभी की नजरें अब केंद्रीय नेतृत्व के रुख पर टिकी हैं।