नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के प्रमुख आरोपी तहव्वुर राना को उनके परिवार से एक बार फोन पर बात करने की अनुमति दी है। यह कॉल सख्ती से जेल नियमों के तहत और तिहाड़ जेल के वरिष्ठ अधिकारी की निगरानी में होगी। राना को 9 अप्रैल 2025 को 15 साल लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया था, और यह फैसला उनके मानवीय अधिकारों के लिए एक दुर्लभ कदम माना जा रहा है।
कोर्ट ने तिहाड़ जेल अधिकारियों से राना की स्वास्थ्य स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट भी 10 दिनों के भीतर मांगी है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने इस एक बार के फोन कॉल की अनुमति दी है, लेकिन कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या भविष्य में जेल मैनुअल के अनुसार राना को नियमित फोन कॉल की अनुमति दी जानी चाहिए, जिस पर जेल प्रशासन का रुख स्पष्ट करने को कहा गया है।
26/11 हमले, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए थे, में 166 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। NIA राना की डेविड हेडली के साथ भूमिका की जांच कर रही है, और फोरेंसिक वॉयस एनालिसिस के जरिए कॉल रिकॉर्ड्स से उनकी आवाज की पुष्टि की योजना है। एक 2019 के अध्ययन के अनुसार, नियंत्रित परिस्थितियों में वॉयस एनालिसिस की सटीकता 92% तक हो सकती है।
बता दें जेल में कैदियों की भलाई को लेकर बढ़ती निगरानी के बीच यह कदम उठाया गया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, जेल में 14% कैदी इलाज न मिलने की स्थिति का सामना कर रहे हैं, जो भविष्य में संचार नियमों पर निर्णय को प्रभावित कर सकता है। यह विकास राना के मुकदमे और आतंकवाद विरोधी जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां मानवाधिकार और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।