मुम्बई: मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड्स में से एक तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है, और जैसे-जैसे यह प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, उसके कई पुराने राज़ भी सामने आ रहे हैं। जांच एजेंसी एनआईए के मुताबिक, राणा ने भारत में 26/11 से पहले डेविड हेडली से 231 बार बातचीत की थी और कुल 8 बार भारत में आकर संभावित निशानों की टोह ली थी। आखिरी दौरे में ही उसने 66 कॉल किए थे। हेडली और राणा ने मिलकर इंडिया गेट, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यहूदी संस्थानों को भी टारगेट किया था।
एनआईए की चार्जशीट में खुलासा: राणा और अन्य आतंकियों की मिलीभगत
एनआईए की चार्जशीट में बताया गया है कि राणा, डेविड हेडली, हाफिज सईद, ज़की उर रहमान लखवी, इलियास कश्मीरी, साजिद मीर और मेजर इक़बाल समेत कई आतंकियों ने मिलकर इस हमले की योजना बनाई थी। राणा की अमेरिका के शिकागो में स्थित इमिग्रेशन फर्म का इस्तेमाल हेडली को भारत भेजने के लिए किया गया। अमेरिका में दोनों के बीच हुई मुलाक़ातों में हमले की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई थी।
अमेरिका में अपील खारिज, अब भारत में होगा ट्रायल
राणा ने अमेरिका में ‘डबल जेपर्डी’ का हवाला देते हुए भारत प्रत्यर्पण को रोकने की कोशिश की थी, लेकिन अमेरिकी अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि भारत में लगे आरोप अलग हैं। अमेरिका में उसे डेनमार्क आतंकी साजिश और लश्कर-ए-तैयबा को समर्थन देने के मामले में पहले ही 14 साल की सजा मिल चुकी है।
एनआईए की टीम विशेष विमान से ला रही भारत
अब जब राणा की अमेरिकी जेल से रिहाई हो चुकी है, एनआईए की एक टीम उसे विशेष विमान से भारत ला रही है। जानकारी के मुताबिक, एनआईए की डीआईजी जया रॉय ने प्रत्यर्पण वारंट पर दस्तखत किए हैं और टीम बुधवार सुबह अमेरिका से रवाना हो गई है। भारत पहुंचने के बाद राणा को पहले एनआईए मुख्यालय ले जाया जाएगा और फिर उसे स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा।
आईएसआई-लश्कर कनेक्शन की होगी गहराई से जांच
सूत्रों की मानें तो राणा से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई, लश्कर-ए-तैयबा के नेटवर्क और फंडिंग के स्रोतों को लेकर गहन पूछताछ की जाएगी। हालांकि एजेंसियों को पता है कि राणा जैसा कट्टर आतंकी आसानी से नहीं टूटेगा। उसने पहले ही कानूनी मदद ले ली है और सुरक्षा कारणों से उसकी कोर्ट में पेशी बंद कमरे में की जा सकती है।