नई दिल्ली: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए एक बड़ी उपलब्धि की घोषणा की है। बोर्ड के ताजा आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में पिछले साल की तुलना में 13.57% की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है।
यह वृद्धि देश की आर्थिक मजबूती, बेहतर कर अनुपालन और व्यापक कर आधार का संकेत देती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बढ़ोतरी से सरकार को अपनी विकास योजनाओं को गति देने और वित्तीय स्थिरता को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
हालांकि, इस सकारात्मक खबर के बीच कुछ चुनौतियां भी उभरकर सामने आई हैं। सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस अकाउंटेबिलिटी (सीबीजीए) इंडिया की 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिम बजट में अनुमान लगाया गया था कि व्यक्तिगत आयकर संग्रह में 28.4% की वृद्धि होगी, जो सकल प्रत्यक्ष करों में 52.57% का योगदान देता है। दूसरी ओर, कॉर्पोरेट कर में वृद्धि दर केवल 13.02% रही, जो नाममात्र जीडीपी वृद्धि से कम है। यह अंतर कर राजस्व के वितरण में संरचनात्मक समस्याओं की ओर इशारा करता है।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि कॉर्पोरेट कर की गति को बढ़ाने के लिए सरकार को अतिरिक्त नीतिगत कदम उठाने की जरूरत है। फिर भी, इस वृद्धि को भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, जो सरकार को अपनी आर्थिक नीतियों को और सुदृढ़ करने का अवसर प्रदान करता है।