पटना में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) के 3 साल पुराने बिजली बिल बकाया मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में तगड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है। बेउर स्थित उनके आवास का तीन लाख से अधिक का बकाया उजागर होने के बाद यह सवाल लगातार उठ रहा है कि जब सामान्य उपभोक्ताओं का मामूली बकाया भी दो महीने में बिजली कटने का कारण बन जाता है, तो एक वीआईपी का कनेक्शन तीन साल तक कैसे चालू रहा। तेज प्रताप ने अब पूरा बकाया जमा कर दिया है, लेकिन विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा।
मिली जानकारी के अनुसार, तेज प्रताप यादव ने आखिरी बार 20 जुलाई 2022 को बिजली बिल जमा किया था। उसके बाद करीब तीन वर्षों तक लगातार न तो मासिक बिल भरा गया और न ही किसी किस्त का भुगतान किया गया। विभागीय आंकड़ों के अनुसार, आवास की औसत खपत लगभग 500 यूनिट प्रतिमाह मानी जाती है। लंबे समय तक भुगतान न होने पर सरचार्ज और ब्याज बढ़कर कुल बकाया को 3.61 लाख रुपये तक पहुँचा दिया। चौंकाने वाली बात यह रही कि इतनी बड़ी राशि बकाया रहने के बावजूद विभाग ने कनेक्शन नहीं काटा, जबकि नियमों के तहत 25,000 रुपये से अधिक बकाया होने पर बिजली सप्लाई बंद कर दी जानी चाहिए।
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शहर में स्मार्ट मीटर सिस्टम लागू होने के बाद अधिकांश उपभोक्ताओं के मीटर समय से रिचार्ज न होने पर स्वतः बिजली काट देते हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि तेज प्रताप के आवास पर अभी भी पुराना पोस्टपेड मीटर क्यों लगा रहा, जिसे लेकर विभाग की मंशा पर शक गहराता जा रहा है। आम जनता जहां 1-2 महीने की देरी पर बिजली कटने का सामना करती है, वहीं एक राजनीतिक परिवार को मिली इस कथित ‘छूट’ ने विभाग की निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
विवाद बढ़ने पर तेज प्रताप यादव ने पूरा बकाया जमा कर दिया है। विभाग की ओर से सफाई आई है कि किसी भी उपभोक्ता के लिए कोई पहचान-आधारित छूट नहीं दी जाती और केवल कंज्यूमर आईडी के आधार पर कार्रवाई होती है। लेकिन इस स्पष्टीकरण के बावजूद सवाल खत्म नहीं हो रहे हैं, क्योंकि नियमों के अनुपालन की प्राथमिक जिम्मेदारी तो विभाग की ही होती है।
मामले के तूल पकड़ने के बाद बिजली विभाग हरकत में आ गया है। सभी इंजीनियरों, कार्यपालक अभियंताओं और कनीय अभियंताओं को नोटिस जारी किया गया है। पुराने बकाएदारों की त्वरित वसूली, फील्ड में अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती और रिकवरी को तेज़ करने के निर्देश दिए गए हैं। यह मामला सिर्फ एक उपभोक्ता के बकाए का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम में वीआईपी ट्रीटमेंट और प्रशासनिक लापरवाही के आरोपों को उजागर करता है।






















