पटना में रविवार को राजद ने 65% आरक्षण लागू करने की मांग को लेकर जबरदस्त हंगामा खड़ा कर दिया। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं ने सरकार पर जमकर हमला बोला और एनडीए को आरक्षण विरोधी करार दिया। राजद का आरोप है कि केंद्र और राज्य की एनडीए सरकार जानबूझकर आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं कर रही और इसे कोर्ट केस में उलझाकर कमजोर करने की साजिश रच रही है।
धरने के दौरान तेजस्वी यादव का जोश देखने लायक था। उनके हाथ में एक बड़ा पोस्टर था, जिस पर लिखा था— “आरक्षण की चोरी बंद करो!” उनके समर्थकों ने भी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए माहौल को और गर्मा दिया।
“आरक्षणचोरों का स्वागत नहीं होगा” – तेजस्वी यादव का कड़ा रुख
धरने के बाद तेजस्वी यादव ने राजद कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जहां उनका आक्रामक तेवर साफ झलक रहा था। जदयू से गठबंधन की अटकलों पर सवाल पूछे जाने पर वे भड़क उठे। उन्होंने दो टूक कहा, “किसी को कोई ऑफर नहीं दिया जा रहा है। मेरे और लालू जी के अलावा कोई इस तरह के बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है।”
उन्होंने पत्रकारों से सीधे सवाल किया— “अब सीधे चुनाव होगा, आप लोगों को कौन बुद्धि देता है? जेडीयू आएगा तो स्वागत करेंगे? क्यों करेंगे? आरक्षणचोर और आरक्षणखोरों का हम लोग स्वागत करेंगे क्या?”
आरक्षण के मुद्दे पर आरजेडी की आर-पार की लड़ाई
आरक्षण को लेकर राजद की अगली रणनीति पर तेजस्वी यादव ने साफ किया कि यह लड़ाई केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि कानूनी और सामाजिक मोर्चे पर भी लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट में मजबूती से लड़ रहे हैं। हर तारीख पर हमारे वकील खड़े रहते हैं। बिहार सरकार का वकील अगर इधर-उधर करेगा, तो हम लोग यहां बैठे हुए हैं। सड़क, सदन, कोर्ट—हर जगह इस लड़ाई को लड़ेंगे।”
नीतीश कुमार के लिए खुला है लालू का दरवाजा, लेकिन तेजस्वी का सख्त स्टैंड
गौरतलब है कि इससे पहले लालू यादव ने संकेत दिए थे कि जदयू के लिए राजद के दरवाजे बंद नहीं हुए हैं। लेकिन तेजस्वी यादव ने इस बयान से खुद को अलग करते हुए स्पष्ट किया कि “हम किसी को कोई ऑफर नहीं दे रहे। यह बेवजह की अफवाहें हैं।”