बिहार की राजनीति में इन दिनों चुनावी वादों का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) द्वारा ‘हर घर में सरकारी नौकरी’ देने की घोषणा ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। इस ऐलान के बाद सत्तारूढ़ जेडीयू ने तेजस्वी पर तीखा पलटवार किया है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि लालू परिवार बीते 20 वर्षों से सत्ता से बाहर है और ऐसा लगता है कि उनकी “बुद्धि भी कारावास में कैद हो गई है।”
नीरज कुमार ने सवाल उठाया कि क्या किसी राज्य सरकार को संविधान के तहत इतना अधिकार प्राप्त है कि वह हर घर को सरकारी नौकरी दे सके? उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में जातिगत सर्वे के अनुसार करीब 2 करोड़ 76 लाख 68 हजार 930 परिवार हैं। अगर हर परिवार में औसतन चार योग्य सदस्य हैं तो क्या राज्य सरकार इन सभी को नौकरी दे पाएगी? उन्होंने तेजस्वी पर व्यंग्य करते हुए कहा कि यह वादा न सिर्फ अव्यावहारिक है बल्कि संविधान की सीमाओं का भी अपमान है।
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जेडीयू प्रवक्ता ने आगे कहा कि तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि उन्होंने विशेषज्ञों से सलाह ली है। “अब सवाल यह उठता है कि ये कौन से विशेषज्ञ हैं जो ‘अज्ञानता का तांडव’ कर रहे हैं?” नीरज कुमार ने कहा कि नौकरी के अवसर केवल सरकारी क्षेत्र तक सीमित नहीं होते, बल्कि निजी क्षेत्र में भी रोजगार सृजन का बड़ा दायरा है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब तेजस्वी यादव ने नौकरी के बदले जमीन ली थी, तो पहले उसे लौटा दें, फिर नए वादे करें।
वहीं, आरजेडी ने इस बयानबाज़ी का जोरदार जवाब दिया। पार्टी नेता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि “तेजस्वी यादव हर बेरोज़गार परिवार को रोजगार देने का संकल्प लेकर चल रहे हैं, और यह वही कर सकता है जो बिहार के दर्द को महसूस करता है।” उन्होंने जेडीयू पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा सरकार की विश्वसनीयता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। “जनता अब परिवर्तन चाहती है और इस बार आरजेडी हारने के लिए नहीं, बल्कि बदलाव के लिए मैदान में है।”






















