नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज पटना में महागठबंधन के नेताओं के स्थ मिलकर पीसी कर वोटर लिस्ट के पूर्ण निरीक्षण अभियान को लेकर चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग बार-बार अपने पुराने आदेशों को बदल रहा है। खुद नहीं समझ पा रहा है कि क्या करना है। तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग के फैसले पर हमला बोलते हुए कहा कि क्या यह लोकतंत्र पर खतरा नहीं है? उन्होंने इसे गरीबों को मताधिकार से रोकने की साजिश करार दिया है।
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चुनाव आयोग से समय मांगा गया है, लेकिन अभी तक कोई समय नहीं दिया गया है। इतने गंभीर मुद्दे पर भी आयोग गंभीर नहीं है और हमारे द्वारा लगातार सवाल उठाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिल रहा है। तेजस्वी ने कहा कि जो 11 डॉक्यूमेंट मांगे गए हैं, वे बिहार के पास नहीं हैं और दी गई दलीलें उदासीनता को दर्शाती हैं। ठीक दो महीने पहले वोटर लिस्ट बदलने का क्या कारण है, इस पर भी सवाल उठाए गए हैं। उन्होंने मीडिया के सामने डॉक्यूमेंट भी गिनाए। तेजस्वी ने यह भी सवाल उठाया कि यह पुनरीक्षण सिर्फ पूरे देश में क्यों नहीं हो रहा है और पूरी प्रक्रिया दो साल पहले क्यों नहीं शुरू हुई।
दलित-पिछड़ों के काटेंगे नाम
तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद भी प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। अगर फर्जी वोटर आए हैं, तो पहले प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू हुई। BLO को तीन बार मतदाता के पते पर जाने का निर्देश दिया गया है और मतदाता को भौतिक रूप से उपस्थित रहना पड़ेगा। जो लोग रोजी-रोटी कमाने या मजदूरी करने बाहर जाते हैं, वे चुनाव के दौरान कैसे आएंगे? अचानक पहचान के लिए कैसे आयेंगे? तीन करोड़ लोग पलायन कर मजदूरी करने बाहर जाते हैं और ऐसे सभी लोगों का नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाएगा, जिनमें अधिकांश दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोग हैं।
11 दस्तावेज कितने बिहारियों के पास
2004 के बाद वाले मतदाताओं को माता-पिता का पहचान पत्र देना होगा, जबकि आधार और नरेगा कार्ड की मान्यता नहीं दी गई है। तेजस्वी ने निर्वाचन आयोग से पूछा कि कितने लोगों के पास ये दस्तावेज हैं। भारत सरकार को भी यह बताना चाहिए कि 11 दस्तावेज कितने बिहारियों के पास हैं और कितने प्रतिशत लोगों के पास पूरे दस्तावेज हैं। जन्म प्रमाण पत्र कितने प्रतिशत लोगों के पास हैं, मान्यता प्राप्त बोर्ड द्वारा मैट्रिक प्रमाण पत्र कितने लोगों के पास हैं, और जातीय प्रमाण पत्र कितने लोगों को निर्गत किए गए हैं, इसका आंकड़ा सरकार जारी करे।
फर्जी वोटर कैसे आ गए?
तेजस्वी यादव ने कहा कि आश्चर्य है कि चुनाव आयोग के पास समय नहीं है कि हमारी बात सुने। इसके लिए पहले सभी दलों से मिलकर बात करनी चाहिए थी। जब हर साल वोटर जोड़ते और हटते हैं, तो फिर फर्जी वोटर कैसे आ गए? लोकसभा चुनाव में इन्हीं वोटरों ने मोदी को प्रधानमंत्री बनाया, आज ये सभी वोटर फर्जी कैसे हो गए? इसका मतलब चुनाव भी फर्जी हैं? चुनाव आयोग सफेद बैकग्राउंड में तस्वीर मांग रहा है, कितने गरीबों के पास ऐसी तस्वीर है? 26 जुलाई तक सभी काम पूरा कर लेना है, 6 दिन हो चुके हैं और 99 प्रतिशत लोगों के यहां प्रक्रिया शुरू भी नहीं हुई है। 20 दिन में यह प्रक्रिया कैसे पूरी होगी?
एनडीए चुप क्यों है?
वहीं तेजस्वी यादव ने कहा कि आज इस मुद्दे पर एनडीए चुप क्यों है? बिहार में बारिश शुरू हो चुकी है, ऐसे माहौल में लोग अपनी जान बचाएंगे या कागजात देंगे? 73 प्रतिशत बिहार बाढ़ से प्रभावित हैं। नीतीश कहते हैं कि खजाने का पहला हक आपदा पीड़ितों का है, जब सभी चुनाव में लगे रहेंगे तो पीड़ितों का हक कौन देगा? निर्वाचन आयोग ने अब तक कोई प्रेस कांफ्रेंस क्यों नहीं किया?
किसके वोटर कटेंगे
तेजस्वी ने कहा कि बीजेपी द्वारा पहले से ही चिन्हित कर लिया गया है कि किस विधानसभा से कितने वोटरों के नाम काटने हैं, सब तय हो चुका है। किस बूथ पर कौन पार्टी जीतती है, सबको पता है। इसी के अनुसार वोटरों के नाम काटने की प्रक्रिया की जा रही है। हम लोग अचेत नहीं, बल्कि सचेत हैं। इनकी गुंडागर्दी नहीं चलने देंगे। पहले से पता था कि ये लोग कुछ न कुछ करेंगे।
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बिहार में चुनाव सीएम नीतीश के चेहरे पर नहीं हो रहा, यह चुनाव बिहार की जनता और पीएम के चेहरे के बीच हो रहा है। तेजस्वी ने 5 मांगों की सूची सौंपी है। निर्वाचन स्पष्ट और अंतिम आदेश जारी करे। 2003 की सूची को मानने की बात खत्म की जाए। सभी दस्तावेज खत्म कर प्रैक्टिकल दस्तावेज मांगे जाएं। सर्वदलीय बैठक बुलाकर पुनरीक्षण का काम शुरू किया जाए। पूरे मामले की संसदीय या उच्च स्तरीय निगरानी से जांच की जाए।