बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण के विरोध में राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आज महागठबंधन के प्रतिनिधिमंडल के साथ पटना स्थित निर्वाचन आयोग के कार्यालय पहुंचे। निर्वाचन आयोग ने उन्हें चर्चा के लिए बुलाया था। तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद केंद्र सरकार और आयोग पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने आशंका जताई कि आगामी चुनावों में करोड़ों बिहारियों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
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मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव ने अपनी पत्नी राजश्री का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, ‘मेरी पत्नी दिल्ली की रहने वाली है। 3 महीना पहले हमने उनका वोटर आईडी बनवाया। वोटर आईडी बनवाने के लिए हमने आधार कार्ड दिया’। ‘उस आधार कार्ड पर उनका वोटर लिस्ट में नाम जुड़ा। तो आधार कार्ड जो सरकार का ही दिया हुआ डॉक्यूमेंट है, उसमें फिंगरप्रिंट, आंख का वेरिफिकेशन भी है। इस बार आधार कार्ड को डॉक्यूमेंट में से क्यों हटा दिया गया है?
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तेजस्वी ने कहा, ‘हमें संदेह है कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया पहले मतदाता सूची, फिर राशन कार्ड और फिर पेंशन सूची के माध्यम से की जाएगी। हमने आयोग के सामने इस प्रक्रिया की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए हैं। इस समय राज्य में मानसून है, कई जगहों पर जलभराव की स्थिति बनी हुई है। 25 दिनों में इतनी बड़ी कवायद कैसे पूरी होगी?’
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उन्होंने प्रवासी बिहारियों का जिक्र करते हुए पूछा, ‘जो 4-5 करोड़ बिहारी बाहर काम कर रहे हैं, उनके लिए आयोग ने क्या व्यवस्था की है?’ साथ ही दस्तावेजों की जटिलता पर भी आपत्ति जताई। ‘इस बार आधार कार्ड को आवश्यक दस्तावेजों से हटा दिया गया है, जबकि यही सबसे प्रामाणिक पहचान है। हमने मांग की है कि आधार, जॉब कार्ड और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को फिर से मान्य किया जाए।’ तेजस्वी ने यह भी कहा कि बिहार के चुनाव आयोग के पास कोई निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं है। ‘निर्णय दिल्ली से लिए जाते हैं, और हम सब जानते हैं कि असल में फैसले कौन ले रहा है।’