तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर अब सबकी नजरें टिक गई हैं। चुनावी हार के बाद वह लंबे समय तक चुप थे, लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं। तेजस्वी यादव अचानक पूरे एक्शन मोड में नजर आए हैं। उनका परिवार दिल्ली रवाना हो चुका है, वहीं तेजस्वी अब सार्वजनिक समारोहों में दिख रहे हैं। चुनाव में हार के बाद पटना में विधायकों की बैठक के बाद से वे चुप थे। लेकिन अब वे लगातार विधायकों से मुलाकात करने, रणनीति बनाने और राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त दिख रहे हैं।
हालांकि मीडिया कैमरों से घिरे होने के बावजूद तेजस्वी यादव ने अभी तक एक भी शब्द नहीं बोला है। न बयान, न प्रतिक्रिया और न ही किसी आरोप का जवाब। वह चुप हैं- लेकिन उनकी गतिविधियों ने संकेत दे दिया है कि वे फिर मैदान में उतर चुके हैं।
हालांकि उनके परिवार के भीतर उनके नाम पर ही विरोध गहराया हुआ है। रोहिणी आचार्य और तेज प्रताप यादव के गंभीर आरोपों के बाद राजनीतिक हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी और परिवार दोनों अब नए दौर में प्रवेश कर चुके हैं? बावजूद इसके, तेजस्वी ने चुप्पी नहीं तोड़ी।
बिहार की राजनीति में अगले कुछ दिनों में कई अहम घटनाएं होने वाली हैं। नीतीश कैबिनेट की पहली बैठक के बाद विधानसभा सत्र की तारीख तय हो जाएगी और वहीं तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता के रूप में मौजूद रहेंगे।
चुनावी हार के बाद तेजस्वी यादव बिल्कुल शांत हो गए थे। उनकी चुप्पी ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े किए। पार्टी की समीक्षा बैठक में उन्हें विधायक दल का नेता तो चुन लिया गया, लेकिन उस बैठक के बाहर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा।
इसके साथ ही एक और चुनौती सामने है- आईआरसीटीसी मामले की सुनवाई। कहा जा रहा है कि उन्हें दिल्ली की अदालत में खुद पेश होना पड़ सकता है। ऐसे में राजनीति और कानूनी मोर्चे के बीच तेजस्वी की अगली चाल बेहद अहम होने वाली है।
फिर भी, इन सबके बीच एक नया संदेश स्पष्ट है — “Tejashwi Is Back.” अब यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी अगले पांच साल विपक्ष के नेता के रूप में अपनी भूमिका कैसे निभाते हैं और क्या वे इस चुनावी हार को 2029 की तैयारी में बदल पाएंगे।






















