बिहार में विधानसभा चुनावों की आहट के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गई है। जातीय सम्मेलन और समाज आधारित राजनीतिक लामबंदी का दौर अपने चरम पर है। सत्ता की दौड़ में शामिल हर दल और नेता अब समाजों की भागीदारी सुनिश्चित करने में जुटे हैं। इस कड़ी में शनिवार को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में पाल समाज के महासम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए।
इस सम्मेलन में एक खास दृश्य तब देखने को मिला, जब पाल समाज की ओर से तेजस्वी यादव को भेंटस्वरूप एक भेड़ दी गई। यह परंपरागत भेंट पाल समुदाय की पहचान और आजीविका से जुड़ी है, क्योंकि इस जाति का मुख्य पेशा भेड़ पालन है। तेजस्वी यादव ने इस भेड़ को मंच पर खुले दिल से स्वीकार किया, उसकी रस्सी पकड़कर मंच पर घुमाया और फिर उसे अपने आवास, राबड़ी आवास, ले गए।
“लालू जी 78 की उम्र में भी जनता से मिलते हैं, BJP को उनसे सीखना चाहिए” — तेजस्वी यादव का तीखा पलटवार
तेजस्वी ने भेड़ को स्वीकार कर यह स्पष्ट संकेत दिया कि वे जातीय भावनाओं और प्रतीकों को राजनीतिक रूप से गंभीरता से ले रहे हैं। यह कदम न केवल पाल समाज को साधने का प्रयास माना जा रहा है, बल्कि व्यापक पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के बीच उनकी स्वीकार्यता बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा भी समझा जा रहा है।
महिलाओं को हर महीने ₹2500
सम्मेलन के मंच से तेजस्वी यादव ने ‘माई-बहन योजना’ की घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो राज्य की महिलाओं को हर महीने ₹2500 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह बयान साफ करता है कि चुनावी एजेंडा अब केवल जातीय समर्थन तक सीमित नहीं, बल्कि सामाजिक-आर्थिक लाभों की ओर भी बढ़ चुका है।
बीजेपी पर आरक्षण खत्म करने का आरोप
तेजस्वी ने अपने भाषण में बीजेपी को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी आरक्षण खत्म करना चाहती है और यह सामाजिक न्याय के खिलाफ है। उन्होंने पाल समाज को याद दिलाया कि लालू यादव की ताकत हमेशा से वंचित और पिछड़े वर्गों में रही है, और यह लड़ाई आज भी जारी है। पाल महासम्मेलन में आरजेडी के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए, जिनमें राज्यसभा सांसद संजय यादव और संभावित प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल प्रमुख थे। सम्मेलन में बड़ी संख्या में पाल समाज के नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे।