बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजद नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से खुद को राजनीति के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है। जमुई दौरे पर पहुंचे तेजस्वी यादव ने न सिर्फ केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा, बल्कि महागठबंधन की आंतरिक राजनीति और जातीय जनगणना जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी खुलकर बात की। सीट बंटवारे के सवाल पर तेजस्वी यादव ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि महागठबंधन में इस मुद्दे पर कोई भ्रम नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि किसे कितनी सीटें मिलेंगी, इसका समय आने पर फैसला होगा। झामुमो के 10-12 सीटों के दावे को लेकर उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसी कोई आधिकारिक सूचना उन्हें नहीं मिली है। वहीं, मुकेश सैनी को लेकर पूछे गए सवाल पर व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहा कि “अगर उन्होंने आपसे 60 सीटें मांगी हैं तो आप दे दीजिए।”
जातीय जनगणना पर दावा: ये हमारी जीत है, BJP ने तो विरोध किया था
जातीय जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी ने एक बार फिर बीजेपी को घेरा और कहा कि यह उनकी पार्टी और लालू प्रसाद यादव के वर्षों के संघर्ष का नतीजा है कि केंद्र को झुकना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि यह निर्णय पहली बार 1996-97 में देवगौड़ा सरकार के दौरान हुआ था और अब 30 साल बाद लागू हो रहा है। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर जातीय जनगणना का लगातार विरोध करने का आरोप लगाया। शराबबंदी पर सवाल के जवाब में तेजस्वी ने कहा कि जब वे डिप्टी सीएम थे तब यह कानून बना, और वे आज भी नशा मुक्त बिहार के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार इस कानून को लागू करने में कोताही न बरते, यह सभी की जिम्मेदारी है।
पलवामा टेरर अटैक को लेकर जब उनसे पूछा गया कि क्या मोदी सरकार की सेना को खुली छूट देना पर्याप्त है, तो तेजस्वी ने कहा कि देश की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। अगर लापरवाही होती है, तो उसके लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए और विपक्ष सरकार के हर जरूरी कदम में साथ है।
तेजस्वी यादव के इन बयानों से साफ है कि वे एक बार फिर बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय, जातिगत संतुलन और गठबंधन की मजबूती को चुनावी मुद्दा बनाना चाहते हैं। वे न केवल भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि महागठबंधन में नेतृत्व के सवालों पर भी अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं।