बिहार में उच्च शिक्षा की हालत क्या है, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट (CAG) से हकीकत का पता चल रहा है। बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने बीते दिनों विधानमंडल में बजट सत्र के दौरान 31 मार्च 2022 को समाप्त हुए वर्ष के लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 नमूना जांचित विश्वविद्यालयों में शिक्षण कर्मियों के 57 फीसदी पद रिक्त थे। इसके अलावा शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन में भी भारी गड़बड़ी देखने को मिली है। अब इसको लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने निशाना साधा है।

उन्होंने एक पर पोस्ट लिखकर कहा है- जदयू-भाजपा की सरकार में बिहार के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के अलावा सबकुछ हो रहा है। बिहार के विश्वविद्यालयों के कुल पदों में से 56 फीसदी शिक्षक और गैर शिक्षकों की कमी है इसलिए विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक वातावरण कैसा हो सकता है ये समूचा बिहार जानता है। बिहार के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के परीक्षा परिणाम 946 दिनों तक देर से घोषित किए जाते है यानि परीक्षा के लगभग ढ़ाई साल बाद रिजल्ट आते हैं। ये बात CAG की ताजा रिपोर्ट बता रही है।
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रिपोर्ट यह भी बता रही है कि नीतीश कुमार और भाजपा की सरकार में, बिहार के विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार और लूट-खसोट का अड्डा बन चुके हैं। यहां बिना टेंडर के खरीदी की जाती है, बिना सत्यापन सैलरी बांट दी जाती है। बिना टीडीसी काटे भुगतान किये जाते हैं। भाजपा, जदयू के भरोसे और नीतीश, भाजपा के भरोसे हैं अन्यथा बिहार में सबकुछ भगवान भरोसे हैं।