हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने सोमवार को हैदराबाद के जुबली हिल्स स्थित अपने आवास पर सिंगापुर के महावाणिज्यदूत एडगर पैंग से मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य तेलंगाना और सिंगापुर के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को मजबूत करना था। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के अनुसार, इस मुलाकात के दौरान दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की। रेड्डी ने तेलंगाना में निवेश के अवसरों को रेखांकित करते हुए राज्य की प्रगति और निवेश-अनुकूल नीतियों पर प्रकाश डाला। दूसरी ओर, एडगर पैंग ने सिंगापुर और दक्षिण भारत, विशेष रूप से तेलंगाना, के बीच संबंधों को और गहरा करने की इच्छा जताई।
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब रेवंत रेड्डी तेलंगाना में निवेश आकर्षित करने के लिए सक्रिय रूप से अंतरराष्ट्रीय दौरों की योजना बना रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, रेड्डी जल्द ही ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और जनवरी 2025 में दावोस में होने वाले विश्व आर्थिक मंच (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) की यात्रा करने वाले हैं। इससे पहले, उन्होंने पिछले आठ महीनों में अमेरिका, दक्षिण कोरिया और दावोस की यात्राओं के दौरान 81,564 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया है, जिससे 30,750 से अधिक नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है। सिंगापुर के चेन्नई में महावाणिज्य दूतावास की स्थापना 22 जून 2006 को हुई थी, और यह दक्षिण भारत में रहने, काम करने और यात्रा करने वाले सिंगापुर के नागरिकों के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ भारत और सिंगापुर के बीच संबंधों को बढ़ावा देने का काम करता है।
एडगर पैंग इस क्षेत्र में सिंगापुर के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल और पुडुचेरी जैसे राज्यों में सिंगापुर के लिए कूटनीतिक गतिविधियों की देखरेख करते हैं। यह मुलाकात तेलंगाना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, क्योंकि राज्य सरकार निवेश और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को प्राथमिकता दे रही है। तेलंगाना ने हाल के वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2020-2030 जैसी पहलों के साथ स्थायी विकास पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसके तहत सुजलॉन और ग्रीनको जैसी कंपनियां राज्य में निवेश कर रही हैं। इस मुलाकात को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि सिंगापुर के साथ सहयोग से तेलंगाना को तकनीक, स्वास्थ्य, विनिर्माण और अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में लाभ हो सकता है, जिससे राज्य की आर्थिक प्रगति को और गति मिलेगी।