लॉस एंजिल्स : अमेरिका में जारी अशांति के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक और बड़ा कदम उठाया है। खबरों के मुताबिक, 4000 नेशनल गार्ड सदस्यों के अलावा अब 700 मरीन कमांडो को भी तैनात किया गया है। यह कदम कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़म और अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा द्वारा ट्रंप प्रशासन के खिलाफ दायर मुकदमे के बीच आया है, जहां उन्हें “तानाशाही” और “पागल” करार दिया गया है।
विवरण:
अमेरिका में चल रहे प्रदर्शनों और अशांति के मद्देनजर ट्रंप प्रशासन ने लॉस एंजिल्स में सुरक्षा बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सैन्य बल तैनात करने का फैसला किया है। ये प्रदर्शन मुख्य रूप से आप्रवासन नीतियों के खिलाफ हो रहे हैं, जहां हजारों प्रदर्शनकारी एक प्रमुख राजमार्ग को ब्लॉक कर चुके हैं और स्वायत्त वाहनों में आग लगा दी है। इस घटना के बाद पुलिस ने आंसू गैस और रबर की गोलियों का इस्तेमाल किया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूज़म ने ट्रंप के इस फैसले को “असंवैधानिक” बताते हुए कहा, “यह एक तानाशाही का उदाहरण है।” वहीं, अटॉर्नी जनरल रॉब बोंटा ने भी ट्रंप प्रशासन पर आरोप लगाया कि वे स्थानीय अधिकारियों की मंजूरी के बिना सैन्य बल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पृष्ठभूमि:
इस घटनाक्रम से पहले, एक रिपोर्ट में बताया गया था कि ट्रंप प्रशासन ने आप्रवासन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के खिलाफ प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए 2000 नेशनल गार्ड सदस्यों को तैनात किया था। हालांकि, इस कदम का विरोध करते हुए न्यूज़म और बोंटा ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दायर किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये घटनाएं अमेरिकी लोकतंत्र की नाजुकता को दर्शाती हैं, खासकर 2024 में ट्रंप पर हुए हत्या के प्रयास के बाद। एक अकादमिक विश्लेषण में सुझाया गया है कि ये घटनाएं एक “गृहयुद्ध” की स्थिति की ओर इशारा कर सकती हैं, जहां राजनीतिक विभाजन और सैन्य हस्तक्षेप समाज को और अधिक विभाजित कर रहे हैं।
ट्रम्प के फैसले और इसके परिणामों पर देश भर में बहस जारी है। जबकि कुछ इसे सुरक्षा सुनिश्चित करने का कदम मानते हैं, वहीं अन्य इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ एक गंभीर उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं। इस बीच, लॉस एंजिल्स में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है, और आने वाले दिनों में इसके और गंभीर रूप लेने की आशंका है l