बिहार में वोटर लिस्ट के सत्यापन (वेरिफिकेशन) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने चुनाव आयोग द्वारा की जा रही सत्यापन की प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इनकार कर दिया है। विपक्ष को बड़ा झटका देते हुए कोर्ट ने कहा कि आयोग के पास हलफनामा दाखिल करने का पर्याप्त समय है, उसे प्रक्रिया पूरी करने दें।
जस्टिस धूलिया ने कहा कि हम 28 जुलाई को मामले की सुनवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी दलीलें 28 जुलाई से पहले पूरी करनी होंगी। बता दें कि कांग्रेस, RJD समेत इंडिया गठबंधन की 9 पार्टियों ने वोटर लिस्ट सत्यापन की प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। दूसरी ओर, वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर कहा है कि केवल भारतीय नागरिकों को ही वोट देने का हक मिलना चाहिए।
चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि वोटर लिस्ट में सिर्फ वही नाम रहेंगे जो इसके योग्य होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, ‘2003 के बाद वोटर लिस्ट का बड़े पैमाने पर सत्यापन नहीं हुआ। पूरी जांच के बाद केवल योग्य भारतीय नागरिक ही वोटर लिस्ट में रहेंगे।’ आयोग ने देश के हर राज्य में घर-घर जाकर सत्यापन करने का फैसला किया है ताकि गैर-भारतीयों के नाम लिस्ट से हटाए जा सकें।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इंडिया गठबंधन की पार्टियों कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, सीपीएम, एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (यूबीटी) और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने याचिका दायर कर वोटर लिस्ट सत्यापन पर सवाल उठाए हैं। इनका दावा है कि इस प्रक्रिया से गरीबों और महिलाओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा सकते हैं। इसके अलावा, दो सामाजिक कार्यकर्ता अरशद अजमल और रुपेश कुमार ने भी सत्यापन प्रक्रिया को चुनौती दी है।