Triveniganj Vidhansabha: बिहार की राजनीति में त्रिवेणीगंज विधानसभा (निर्वाचन क्षेत्र संख्या 44) की अपनी खास पहचान है। सुपौल जिले की यह आरक्षित सीट न सिर्फ जातीय समीकरणों से प्रभावित होती है, बल्कि यहां की भौगोलिक चुनौतियां भी चुनावी मुद्दों को आकार देती हैं। कोसी नदी के लगातार बाढ़ के खतरे, पलायन, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं यहां के मतदाताओं की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रहती हैं।
चुनावी इतिहास
त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट पर पहली बार 1951 में चुनाव हुए थे, जिसमें कांग्रेस के योगेश्वर झा विजयी बने थे। शुरुआती दौर में कांग्रेस का प्रभाव यहां मजबूत रहा, लेकिन 2005 के बाद से इस सीट पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का दबदबा कायम हो गया। 2005, 2009 उपचुनाव और 2010 में लगातार जीत हासिल कर जेडीयू ने इस सीट को अपने गढ़ के रूप में स्थापित कर लिया।
Supaul Vidhansabha : मिथिला की राजनीति में कोसी किनारे की सीट पर जेडीयू का दबदबा
वीणा भारती का राजनीतिक सफर भी इसी सीट से शुरू हुआ। 1995 में राजनीति में सक्रिय हुईं वीणा भारती ने 2015 के विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया। उस चुनाव में उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अनंत कुमार भारती को 52,000 से अधिक वोटों के बड़े अंतर से हराकर इतिहास रच दिया। जेडीयू को 89,869 वोट मिले जबकि लोजपा मात्र 37,469 वोटों पर सिमट गई।
2020 में भी वीणा भारती ने अपनी सीट बचाई, लेकिन मुकाबला पिछली बार की तरह आसान नहीं रहा। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के संतोष कुमार को महज 3,031 वोटों के मामूली अंतर से हराया। वीणा भारती को 79,458 वोट मिले, जबकि संतोष कुमार को 76,427 वोट हासिल हुए। यह नतीजा इस बात का संकेत था कि त्रिवेणीगंज में जेडीयू की पकड़ मजबूत तो है, लेकिन विपक्ष धीरे-धीरे अपनी जमीन तलाश रहा है।
जातिगत समीकरण और मतदाता
जातीय समीकरणों पर नजर डालें तो रविदास, कोइरी और पासवान मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मुस्लिम वोटरों की संख्या भी इतनी है कि किसी भी उम्मीदवार की हार-जीत तय कर सकती है। यही कारण है कि हर चुनाव में सभी बड़े दल इन समुदायों को साधने की कोशिश करते हैं। इस सीट पर कुल 2,39,006 मतदाता हैं, जिनमें 1,24,123 पुरुष और 1,14,880 महिला वोटर शामिल हैं। महिला मतदाताओं की बड़ी संख्या राजनीतिक दलों के लिए विशेष महत्व रखती है।
2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए त्रिवेणीगंज में मुकाबला रोचक हो सकता है। जेडीयू मौजूदा विधायक वीणा भारती के नेतृत्व में अपनी परंपरागत पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगी, वहीं राजद पिछले चुनाव में मिली बढ़त को पूरी जीत में बदलने के लिए रणनीति बना रही है। लोजपा और भाजपा भी यहां समीकरणों को साधने की पूरी तैयारी में होंगी। यदि विपक्ष बाढ़, रोजगार और पलायन जैसे स्थानीय मुद्दों को प्रभावी तरीके से उठाने में सफल होता है, तो जेडीयू के लिए चुनौती और भी कठिन हो सकती है।
कुल मिलाकर, त्रिवेणीगंज विधानसभा का भविष्य जातीय संतुलन, विकास योजनाओं और स्थानीय समस्याओं के समाधान पर निर्भर करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या 2025 में जेडीयू अपनी परंपरागत जीत का सिलसिला जारी रख पाती है या फिर मतदाता बदलाव का रास्ता चुनते हैं।






















