श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती के बीच तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को लेकर चल रहा विवाद शुक्रवार को और गहरा गया। दोनों नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक-दूसरे पर तीखे हमले किए, जिसमें इंदस वाटर ट्रीटी (आईडब्ल्यूटी) और जम्मू-कश्मीर के पानी के अधिकारों का मुद्दा केंद्र में रहा।
तुलबुल प्रोजेक्ट और इंदस वाटर ट्रीटी का विवाद
तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट, जिसे 1980 के दशक में शुरू किया गया था, का उद्देश्य झेलम नदी पर नेविगेशन और बिजली उत्पादन में सुधार करना है। हालांकि, पाकिस्तान ने इस परियोजना को इंदस वाटर ट्रीटी का उल्लंघन बताकर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद यह परियोजना रुक गई थी। हाल ही में अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया, जिसके बाद उमर अब्दुल्ला ने इस प्रोजेक्ट को पुनर्जनन की वकालत की।
उमर अब्दुल्ला का पक्ष
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस परियोजना को जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में बताया और कहा कि आईडब्ल्यूटी ने राज्य के लोगों के साथ ऐतिहासिक अन्याय किया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, “मैं इस संधि का हमेशा विरोध करता रहा हूं और करता रहूंगा। यह संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने पानी का उपयोग करने के अधिकार से वंचित करती है। इसे ठीक करना युद्ध भड़काना नहीं, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय को सुधारना है।” उन्होंने महबूबा मुफ्ती पर सस्ती लोकप्रियता और सीमा पार बैठे लोगों को खुश करने की कोशिश का आरोप लगाया।
महबूबा मुफ्ती की आपत्ति
दूसरी ओर, महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला के इस कदम को “खतरनाक रूप से उकसाने वाला” करार दिया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान हाल ही में एक पूर्ण युद्ध की कगार से पीछे हटे हैं, और ऐसे समय में इस तरह के बयान जम्मू-कश्मीर के लोगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मुफ्ती ने कहा, “आईडब्ल्यूटी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने संसाधनों का उपयोग करने से रोककर अन्याय किया है, लेकिन पानी को हथियार बनाना और तनाव बढ़ाना सही नहीं है।” उन्होंने उमर के दादा शेख अब्दुल्ला को भी बहस में घसीटते हुए कहा कि उनकी पार्टी की नीतियां राजनीतिक अवसरवादिता से प्रेरित रही हैं, जबकि पीडीपी अपने सिद्धांतों पर अडिग है।
दोनों नेताओं के बीच तीखी तकरार
उमर अब्दुल्ला ने महबूबा के हमलों का जवाब देते हुए कहा, “क्या यह आपका सबसे अच्छा जवाब है? जिसे आप कश्मीर का सबसे बड़ा नेता कहती हैं, उसी पर सस्ते हमले कर रही हैं। मैं इस बहस को गटर के स्तर पर नहीं ले जाऊंगा। आप दूसरों के हितों की वकालत करती रहें, मैं जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए अपने नदियों का लाभ उठाने की बात करता रहूंगा।” उन्होंने यह भी कहा कि वह अब “असली काम” पर ध्यान देंगे और मुफ्ती को पोस्ट करते रहने देंगे।
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
इंदस वाटर ट्रीटी, जो 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे को नियंत्रित करती है। इसके तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का पानी मिलता है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में कई लोग इस संधि को अन्यायपूर्ण मानते हैं, क्योंकि यह राज्य को अपने पानी के संसाधनों का पूरा उपयोग करने से रोकता है। 2023 में भारत ने इस संधि को फिर से बातचीत के लिए नोटिस दिया था, और अब इसके निलंबन ने इस विवाद को और जटिल बना दिया है।
तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट और इंदस वाटर ट्रीटी को लेकर यह विवाद भारत-पाकिस्तान संबंधों और जम्मू-कश्मीर की आंतरिक राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पानी जैसे संवेदनशील मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों को कूटनीतिक बातचीत पर ध्यान देना चाहिए, ताकि क्षेत्र में शांति बनी रहे।