नई दिल्ली : भारत ने अपनी रक्षा प्रौद्योगिकी में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) द्वारा विकसित हाईब्रिड वर्टिकल टेकऑफ एंड लैंडिंग (VTOL) यूएवी रुद्रास्त्र का सफलतापूर्वक परीक्षण 11 जून 2025 को राजस्थान के पोखरण फायरिंग रेंज में किया गया। यह परीक्षण भारत की सैन्य शक्ति को मजबूत करने और क्षेत्रीय चुनौतियों, विशेष रूप से पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा जवाब देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या है रुद्रास्त्र की खासियत?
- वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग: रुद्रास्त्र अपने वर्टिकल टेकऑफ और लैंडिंग क्षमता के कारण दुर्गम इलाकों में भी प्रभावी ढंग से परिचालन कर सकता है।
- रेंज और सटीकता: इस यूएवी की रेंज 170 किलोमीटर से अधिक है और यह सटीक लक्ष्य भेदन में सक्षम है, जो इसे युद्ध के मैदान में एक शक्तिशाली हथियार बनाता है।
- स्वदेशी तकनीक: यह ड्रोन भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है, जो डीआरडीओ के रूस्तम कार्यक्रम के साथ मेल खाता है, जिसमें हाल ही में 180-220 हॉर्सपावर के स्वदेशी इंजनों के टैक्सी ट्रायल फरवरी 2025 में पूरे किए गए।
पोखरण में शक्ति प्रदर्शन
पोखरण फायरिंग रेंज में आयोजित इस परीक्षण के दौरान रुद्रास्त्र ने अपनी मजबूत परिचालन क्षमता और विश्वसनीयता का प्रदर्शन किया। यह परीक्षण 1 जून 2025 को आयोजित सैन्य अभ्यासों के बाद हुआ, जिसमें भारत ने अपनी उन्नत रक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन किया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह ड्रोन न केवल सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि दुश्मन के हौसले को भी पस्त करेगा।
भारत की रक्षा में निजी क्षेत्र की भूमिका
रुद्रास्त्र का विकास निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। वीटीओएल एविएशन इंडिया जैसी कंपनियों ने 2023 में डीजीसीए प्रमाणन हासिल किया है, जो हाइब्रिड यूएवी तकनीक में नवाचार को बढ़ावा दे रहा है। यह कदम भारत को वैश्विक रक्षा बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने की दिशा में ले जा सकता है।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, रुद्रास्त्र का सफल परीक्षण भारत की सैन्य रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। आने वाले समय में इस ड्रोन को और उन्नत बनाकर इसे विभिन्न मिशनों, जैसे खुफिया, निगरानी, लक्ष्य संकेतन और सटीक हमलों के लिए तैनात किया जा सकता है l