मुंबई: शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी राजनीतिक वापसी का ऐलान करते हुए कोंकण और महाराष्ट्र की सियासत में हलचल मचा दी है। मंगलवार को मातोश्री में कोंकण के कार्यकर्ताओं के साथ हुई बैठक में ठाकरे ने स्पष्ट किया कि वे आगामी चुनावों के लिए पूरी ताकत से मैदान में उतरेंगे। इस दौरान उन्होंने बागी गुट और बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। उद्धव ठाकरे ने कहा, “मैं फिर से कोंकण जाऊंगा। जीत की मनगढ़ंत कहानियां सुनाई जा रही हैं, लेकिन झूठ बोलने वाले अब बेनकाब हो चुके हैं।”
बीजेपी नेता नारायण राणे पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, “रोक सके तो रोक लो।” ठाकरे का यह बयान न केवल उनकी वापसी का संकेत है, बल्कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए भी सीधी चुनौती है। 2022 में शिंदे गुट की बगावत के बाद शिवसेना दो धड़ों में बंट गई थी। उद्धव ठाकरे ने जोर देकर कहा, “शिवसेना एक ही है, बाकी सब नकली हैं।” उनका दावा है कि शिवसेना की असली विचारधारा और कार्यकर्ता आज भी उनके साथ हैं। हालांकि, हाल के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कोंकण में ठाकरे को करारी हार का सामना करना पड़ा, जो कभी बालासाहेब ठाकरे के समय से शिवसेना का गढ़ रहा है।
कोंकण में खोई हुई जमीन वापस हासिल करना ठाकरे के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए वे जल्द ही कोंकण का दौरा शुरू करने वाले हैं। इस दौरान जनता से सीधा संवाद, संगठन को मजबूत करना और बागी नेताओं के दावों का जवाब देना उनकी रणनीति का हिस्सा होगा। कोंकण से पहले उद्धव ठाकरे 16 अप्रैल को नाशिक में एक शिविर आयोजित करेंगे। इस शिविर में कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण और प्रेरणा दी जाएगी। महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बाद अब स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं, जिसके लिए ठाकरे ने तैयारियां तेज कर दी हैं। पिछले महीने मुंबई के ईशान्य विभाग में भी ऐसा ही एक शिविर आयोजित किया गया था।
ठाकरे राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में एक-एक दिवसीय शिविरों के जरिए पार्टी को मजबूत करने में जुट गए हैं। उद्धव ठाकरे का यह कदम महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकता है। कोंकण और अन्य क्षेत्रों में उनकी सक्रियता से शिंदे गुट और बीजेपी पर दबाव बढ़ना तय माना जा रहा है। अब देखना यह है कि ठाकरे अपनी पुरानी ताकत को कितना वापस हासिल कर पाते हैं।