[Team Insider] लोक आस्था का महापर्व चैती छठ नहाए खाए और खरना के साथ व्रत की शुरुआत की जाती है। इसके बाद 2 दिन शाम और सुबह सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। चैत्र मास में होने के कारण इसे चैती छठ के नाम से जाना जाता है । चार दिनों का चलने वाला या लोक आस्था का महापर्व मंगलवार से शुरू हो गया है। गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ देने के साथ चैती छठ का समापन होगा।
पूर्वांचल और उत्तरवासियों का छठ महापर्व
पूर्वांचल और उत्तरवासियों का छठ महापर्व प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, एक चैत्र माह और दूसरा कार्तिक मास में। हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाये जाने वाला छठ पर्व मुख्य माना जाता है। कार्तिक छठ पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। चैती छठ पूजा को बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के साथ देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है।
संतान की कामना के लिए यह व्रत उत्तम माना जाता
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संतान की कामना करने वाली महिलाओं के लिए यह व्रत उत्तम माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठी मैय्या को भगवान सूर्य की बहन कहा जाता है। मान्यता है कि छठ महापर्व में छठी मैय्या और भगवान सूर्य की पूजा करने से छठी मैय्या प्रसन्न होती हैं। इस व्रत के पुण्य प्रभाव से घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है ।