दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 2017 के उन्नाव दुष्कर्म मामले (Unnao Rape Case) में दोषी करार दिए गए पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सज़ा को सस्पेंड किए जाने के फैसले ने एक बार फिर देश में न्याय व्यवस्था, जांच एजेंसियों की भूमिका और महिलाओं की सुरक्षा पर बहस को तेज कर दिया है। इस आदेश के बाद पीड़िता की प्रतिक्रिया से लेकर विपक्षी दलों के तीखे सवालों तक, पूरा मामला राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन गया है।
पीड़िता ने हाई कोर्ट के फैसले पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि यह देश का पहला ऐसा आदेश है जिसमें रेप के आरोपी को सज़ा पर रोक लगाते हुए जमानत दी गई है। उनका कहना है कि यह फैसला न सिर्फ उनके लिए बल्कि उन तमाम पीड़िताओं के लिए निराशाजनक है, जो न्याय की उम्मीद में वर्षों तक कानूनी लड़ाई लड़ती हैं। पीड़िता ने CBI की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए और आरोप लगाया कि जांच अधिकारी पहले ही कुलदीप सेंगर से मिल चुके हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट में कोई याचिका दायर नहीं की गई है, लेकिन न्याय की लड़ाई यहीं खत्म नहीं होती।
इस फैसले के बाद राजनीतिक बयानबाज़ी भी तेज हो गई है। राज्यसभा सांसद और राजद नेता मनोज कुमार झा ने सवाल उठाया कि अगर पीड़िता का परिवार किसी नेता से मिलता है तो इसमें गलत क्या है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री खुद ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का नारा देते हैं, लेकिन नारे और ज़मीनी हकीकत के बीच इतना बड़ा अंतर नहीं होना चाहिए। उनके मुताबिक जब ऐसे मामलों में दोषियों को बेल या पेरोल मिलती है तो समाज की बेटियां भीतर ही भीतर टूट जाती हैं और सवाल उठता है कि हम किस तरह का देश बना रहे हैं।
कांग्रेस सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने उन्नाव पीड़िता के मुलाकात के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी के आंखों में आंसू आने पर कहा कि जिसमें भी मानवता होगा तो इसी तरह की फीलिंग्स आना स्वाभाविक है वो लोग भी मानव है।
एनसीपी-एससीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस मुद्दे को राजनीति से ऊपर बताते हुए इसे इंसानियत का सवाल करार दिया। उन्होंने कहा कि यह किसी पार्टी का नहीं बल्कि देश की बेटी का मामला है और ऐसे समय में पूरे समाज को पीड़िता के साथ खड़ा होना चाहिए। उनके बयान ने इस फैसले को नैतिक दृष्टि से भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
आम आदमी पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने जांच एजेंसियों और सरकार की मंशा पर सीधे सवाल दागे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने लिखित आदेश का इंतज़ार किए बिना मौखिक रूप से हाई कोर्ट से स्टे हासिल कर लिया था, तो फिर इस मामले में CBI ने वैसी तत्परता क्यों नहीं दिखाई। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का पूरा जोर कुलदीप सिंह सेंगर को राहत दिलाने पर है, लेकिन अब जनता सवाल पूछने लगी है।


















