UP BJP President Election: उत्तर प्रदेश बीजेपी के संगठनात्मक चुनावों ने पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की तारीख तय होते ही अब सबकी नजरें इस बात पर टिक गई हैं कि आखिर भाजपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन कब करेगी। मौजूदा प्रमुख जे.पी. नड्डा का कार्यकाल पूरा हो चुका है, लेकिन पार्टी नेतृत्व अब तक उत्तराधिकारी के नाम पर अंतिम फैसला नहीं ले सका है। इसी बीच यूपी में संगठन चुनाव की प्रक्रिया तेज होते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस भी गर्मा गई है।
यूपी में प्रदेश अध्यक्ष चुनने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और प्रदेश संगठन चुनाव अधिकारी महेंद्र नाथ पांडे ने नामांकन अनुसूची का ऐलान करते हुए बताया कि 13 दिसंबर को दोपहर एक से दो बजे के बीच नामांकन दाखिल किए जाएंगे। इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक विनोद तावड़े करेंगे। इसके बाद 14 दिसंबर को केंद्रीय चुनाव अधिकारी पीयूष गोयल नए प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा करेंगे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक भाजपा चाहती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25 दिसंबर को प्रस्तावित लखनऊ दौरे से पहले नया प्रदेश अध्यक्ष पदभार संभाल ले।
नामांकन की घोषणा के साथ ही इस पद के दावेदारों के नामों पर भी राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। दौड़ में केंद्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा, पंकज चौधरी, साध्वी निरंजन ज्योति, वरिष्ठ नेता स्वतंत्रदेव सिंह, मंत्री धर्मपाल सिंह, राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा, अमरपाल मौर्य और विद्यासागर सोनकर तक कई नाम शामिल हैं। हालांकि पार्टी ने आधिकारिक तौर पर किसी भी संभावित उम्मीदवार पर टिप्पणी करने से दूरी बनाए रखी है।
प्रदेश स्तर की गतिविधियों के बीच राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर भी अब अटकलें और तेज हो गई हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक 50% संगठन इकाइयों के चुनाव हो जाने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन किया जा सकता है, और यह प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है। पहले संकेत मिले थे कि भाजपा 16 दिसंबर को खरमास शुरू होने से पहले नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है, लेकिन अब यह संभावना पिछड़ती नजर आ रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की सहमति के बाद ही पार्टी औपचारिक तौर पर नाम को अंतिम रूप देगी। हालांकि संघ और भाजपा, दोनों की ओर से किसी भी संभावित नाम पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों की सूची लंबी है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सबसे आगे माना जा रहा है, खासकर बिहार विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन के बाद उनका कद काफी बढ़ा है। शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस, यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और वरिष्ठ नेता विनोद तावड़े के नाम भी लगातार चर्चा में हैं। दक्षिण भारत से अध्यक्ष चुने जाने की संभावना भी पहले जताई जा रही थी, पर उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन की जीत के बाद यह संभावना कमजोर पड़ गई है। महिला नेतृत्व में निर्मला सीतारमण, डी. पुरंदेश्वरी और वानति श्रीनिवासन का नाम भी संभावित चेहरों के तौर पर उभर रहा है।
यूपी और केंद्र, दोनों स्तर पर संगठन चुनावों की इस श्रृंखला ने भाजपा की अंदरूनी रणनीति को लेकर कई सवाल और उम्मीदें जगा दी हैं। अब नजरें इस पर होंगी कि पार्टी पहले उत्तर प्रदेश की बागडोर किसे सौंपती है और उसके बाद राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए किस चेहरे पर भरोसा जताती है।

















