Upendra Kushwaha Big Statement: बिहार की राजनीति में जब मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का दौर तेज है, वहीं राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर स्थिति साफ कर दी है। पटना में मीडिया से बात करते हुए कुशवाहा ने कहा कि NDA का मुख्यमंत्री चेहरा नीतीश कुमार ही हैं, और पूरा गठबंधन उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि NDA इस चुनाव में स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाएगी और नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही शपथ ग्रहण होगा।
कुशवाहा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति में मुख्यमंत्री पद को लेकर अलग-अलग राजनीतिक बयानबाज़ियां हो रही थीं। लेकिन RLM प्रमुख ने इस पर स्पष्टता लाते हुए कहा कि एनडीए के भीतर नेतृत्व को लेकर कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि गठबंधन के सभी घटक दल नीतीश कुमार के अनुभव और प्रशासनिक दक्षता पर भरोसा रखते हैं।
सीट बंटवारे को लेकर भी उपेंद्र कुशवाहा ने एक व्यावहारिक दृष्टिकोण सामने रखा। उन्होंने कहा कि गठबंधन में जब अलग-अलग पार्टियां साथ आती हैं तो कोई भी पार्टी 243 सीटों पर दावा नहीं करती, बल्कि यह निर्णय आपसी सहमति और समझौते के आधार पर होता है। कुशवाहा ने कहा, “अगर किसी की मौजूदा सीट है और गठबंधन में उस पर दूसरे दल को मौका देना तय होता है, तो यह साझा सहमति से होता है। यही गठबंधन धर्म का मूल है।”
उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 से मिली सीख को ध्यान में रखते हुए अब NDA ने अधिक सटीक और क्षेत्रीय स्तर पर मजबूत रणनीति तैयार की है। उन्होंने स्वीकार किया कि कड़ाकाट लोकसभा क्षेत्र सहित कुछ इलाकों में अंतिम चरण के दौरान हुई गलतियों से नुकसान हुआ, लेकिन अब उन कमियों को सुधारा गया है।
कुशवाहा ने आत्मविश्वास के साथ कहा कि इस बार एनडीए की रणनीति जमीन पर आधारित होगी, जो सिर्फ प्रचार नहीं बल्कि मतदाता तक पहुंच और संगठनात्मक मजबूती पर केंद्रित है। उनका कहना है कि नीतीश कुमार के अनुभव, भाजपा की संगठन क्षमता और RLM सहित अन्य सहयोगियों की सक्रियता के बल पर एनडीए फिर से सत्ता में वापसी करेगी।
महागठबंधन पर RLM के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार चुनाव 2025 पर कहा, “उन्होंने SIR पर बहुत शोर मचाया। लेकिन उन्हें क्या मिला? क्या आज जनता के बीच SIR पर कोई चर्चा भी हो रही है? ये लोग जनता के बीच मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे थे। जनता ने उन्हें पहले ही नकार दिया था। जब लालू प्रसाद यादव 15 साल तक बिहार की सत्ता में थे, तब किसी ने भी दलित को वार्ड सदस्य नहीं बनने दिया। दलित परिवारों की महिलाओं, अति पिछड़े परिवारों की महिलाओं को ही नहीं, बल्कि पुरुषों को भी सदस्य बनने की अनुमति नहीं थी।
जब नीतीश कुमार ने सत्ता संभाली, तो NDA सरकार ने तुरंत मौजूदा प्रावधानों को बदल दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछड़े समुदाय, दलितों का प्रतिनिधित्व बढ़ा है और उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। लालू प्रसाद यादव को ऐसा करने से किसने रोका था? अब जब सत्ता उनके हाथ से निकल गई है, तो वे फिर से प्रलोभन का सहारा ले रहे हैं। जनता उनकी असली पहचान जानती है।“