Upendra Kushwaha on RLM: एनडीए की घटक दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) इन दिनों बिहार की राजनीति में सुर्खियों के केंद्र में है। पार्टी के भीतर संभावित टूट, विधायकों की नाराजगी और परिवारवाद के आरोपों ने उपेंद्र कुशवाहा की सियासत को एक बार फिर सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है। इन तमाम चर्चाओं के बीच अब खुद आरएलएम अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा खुलकर सामने आ गए हैं और उन्होंने मीडिया रिपोर्टों को सिरे से खारिज करते हुए तीखा हमला बोला है।
दरअसल, हाल के दिनों में कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया कि आरएलएम के भीतर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। आरोप लगाए गए कि उपेंद्र कुशवाहा ने पहले अपने बेटे दीपक प्रकाश को नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में मंत्री बनवाया और अब वे अपनी बहू साक्षी मिश्रा को किसी बड़े संवैधानिक या राजनीतिक पद पर आगे बढ़ाने की तैयारी में हैं। इन दावों ने न सिर्फ पार्टी के भीतर असहजता बढ़ाई, बल्कि विपक्ष को भी सवाल उठाने का मौका दे दिया।
इन अटकलों पर प्रतिक्रिया देते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने मीडिया से आग्रह किया कि वे तथ्यहीन और बनावटी खबरें फैलाने से बचें। कुशवाहा ने साफ शब्दों में कहा कि ऐसी खबरें न तो किसी की राजनीति बिगाड़ती हैं और न ही लंबे समय तक टिकती हैं, क्योंकि इनकी उम्र महज कुछ दिनों की होती है। उनके इस बयान को पार्टी की ओर से डैमेज कंट्रोल के रूप में देखा जा रहा है।
आरएलएम में कथित असंतोष की चर्चा उस वक्त तेज हुई जब कुछ दिन पहले उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर आयोजित लिट्टी-चोखा पार्टी में पार्टी के तीन विधायक शामिल नहीं हुए। राजनीतिक गलियारों में इसे नाराजगी और अंदरूनी खींचतान का संकेत माना गया। इसके बाद स्थिति तब और चर्चा में आ गई जब आरएलएम के कई कार्यकर्ताओं ने चिराग पासवान की पार्टी का दामन थाम लिया। इससे यह सवाल उठने लगे कि क्या आरएलएम में नेतृत्व को लेकर असंतोष बढ़ रहा है।
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पार्टी के विधायक माधव आनंद की बीजेपी के नए राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नवीन से मुलाकात ने भी सियासी अटकलों को हवा दी। वहीं, बाजापट्टी से आरएलएम विधायक रामेश्वर महतो ने खुलकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए और उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने को लेकर असहमति जताई। रामेश्वर महतो का कहना था कि पार्टी में जमीनी कार्यकर्ताओं का सम्मान लगातार कम हो रहा है, जो किसी भी संगठन के लिए खतरे की घंटी है।
इन सबके बीच सबसे बड़ा विवाद उपेंद्र कुशवाहा की बहू साक्षी मिश्रा के नाम को लेकर सामने आया। आरोप लगाए गए कि राज्य नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष पद के लिए उनका नाम आगे बढ़ाया जा रहा है। गौरतलब है कि यह पद पहले आरएलएम नेता माधव आनंद के पास था, जो मधुबनी से विधायक बनने के बाद खाली हो गया। मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा गया कि खाली पद के लिए साक्षी मिश्रा का प्रस्ताव भेजा गया है, हालांकि पार्टी की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।






















