राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद द्वारा चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पर की गई टिप्पणी को लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अस्वीकार्य हमला बताया है। उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था के प्रमुख के बारे में ऐसी आधारहीन और अपमानजनक टिप्पणी सिर्फ राजनीति को निम्न स्तर पर ले जाने का काम करती है। कुशवाहा ने साफ कहा कि इतने बड़े संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों पर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल लोकतंत्र की गरिमा का अपमान है और यह राजनीतिक अभियान बेहद आपत्तिजनक है।
संसद की कार्यवाही को विपक्ष द्वारा वोटर लिस्ट पुनरीक्षण मामले में लगातार बाधित किए जाने पर भी उन्होंने विपक्ष की मंशा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि बिहार में खुद विपक्ष को जनता ने करारा जवाब दे दिया, इसके बावजूद वही लोग अब भी विषय को उछालकर संसद को बाधित कर रहे हैं। कुशवाहा ने आरोप लगाया कि विपक्ष की राजनीति अब सिर्फ बाधा उत्पन्न करने और भ्रम फैलाने तक सिमट गई है, जबकि एनडीए को जनता का स्पष्ट समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि चाहे संसद में रुकावट पैदा करें या सड़कों पर शोर मचाएं—बिहार और देश की जनता का विश्वास एनडीए के साथ है और आगे भी रहेगा।
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राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी द्वारा संसद परिसर में एक कुत्ता लेकर आने और संसद में बैठे सदस्यों को लक्ष्य कर दिए गए विवादित बयान पर भी कुशवाहा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह घटना साबित करती है कि विपक्ष किस स्तर तक गिर चुका है। संसद की मर्यादा और मानकों को दरकिनार कर सिर्फ सुर्खियों के लिए इस तरह के कदम उठाना उस सोच को दर्शाता है जो लोकतंत्र की गंभीरता को कमजोर कर रही है।
कुशवाहा ने यह भी कहा कि ऐसे वक्त में जब देश बड़े राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद करता है, विपक्ष का ध्यान सिर्फ हंगामे और विवादों तक सीमित रह गया है। उन्होंने कहा कि संसद देश की समस्याओं का समाधान खोजने की जगह है, न कि तमाशा बनाने का मंच। विपक्ष को लोकतंत्र की गरिमा को समझना चाहिए और देशहित में जिम्मेदार भूमिका निभानी चाहिए।






















