एनडीए में सीट बंटवारे का पेंच (NDA Bihar Seat Sharing Row) अब खुलकर सामने आने लगा है। भले ही एनडीए ने जल्दबाजी में सीटों का एलान कर अपनी मजबूती का संदेश देने की कोशिश की हो, लेकिन अंदरखाने में मचे घमासान ने सहयोगी दलों के बीच गहरी दरारें उजागर कर दी हैं। सीटों की घोषणा के बाद सहयोगी दलों के बीच असंतोष की आग फैलती जा रही है, जिसमें सबसे बड़ा नाम राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) और उसके अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का है।
जानकारी के मुताबिक, रालोमो के खाते से पहले तय की गई महुआ सीट को लोजपा (रामविलास) और दिनारा सीट को जदयू के खाते में डाल दिया गया है। इस फेरबदल ने उपेंद्र कुशवाहा को खासा नाराज कर दिया है। पार्टी ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दे दिया है कि वे किसी भी एनडीए उम्मीदवार के नामांकन में शामिल न हों।
दरअसल, रालोमो ने एनडीए में सीट बंटवारे की घोषणा के तुरंत बाद अपनी छह सीटों पर उम्मीदवार तय कर दिए थे। महुआ से दीपक कुशवाहा (उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र) और दिनारा से आलोक सिंह को टिकट देने की तैयारी थी। लेकिन, मंगलवार शाम को पार्टी को अचानक सूचना मिली कि दोनों सीटें अब उनके हिस्से में नहीं हैं। इस फैसले ने रालोमो की नाराजगी को खुला विद्रोह बना दिया है।
एनडीए में मची इस उथल-पुथल के बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने उपेंद्र कुशवाहा जल्द दिल्ली पहुंच सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, देर रात केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय कुशवाहा से मिलने पहुंचे थे, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही। बाहर निकलते वक्त जब मीडिया ने उपेंद्र कुशवाहा से पूछा कि बातचीत का नतीजा क्या रहा, तो उन्होंने कहा, “जो लोग मुझसे मिले हैं, उनसे ही पूछिए कि क्या बात हुई।”
उपेंद्र कुशवाहा ने आगे कहा कि “मैं नाराज नहीं हूं, लेकिन यह जरूर कहूंगा कि इस वक्त एनडीए में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा।” उनका यह बयान एनडीए के अंदर बढ़ती असहमति का संकेत माना जा रहा है।
इधर, नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच भी सीटों को लेकर टकराव तेज हो गया है। बताया जा रहा है कि गायघाट, राजगीर और सोनबरसा सीटें, जो पहले चिराग पासवान के खाते में थीं, अब जदयू ने अपने उम्मीदवार उतारकर ले ली हैं। दिलचस्प बात यह है कि गायघाट सीट से चिराग के उम्मीदवार कोमल सिंह (लोजपा सांसद वीणा देवी की बेटी) को ही जदयू ने टिकट दे दिया है। यह फैसला न केवल राजनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण है बल्कि एनडीए के भीतर के समीकरणों को और जटिल बना सकता है।
इसके अलावा, बरौली सीट, जो पहले बीजेपी के खाते में थी, उसे तारापुर के बदले जदयू को सौंप दिया गया है। लेकिन अब इस पर भी असंतोष बढ़ता जा रहा है, क्योंकि नीतीश कुमार तारापुर सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार सम्राट चौधरी से नाराज बताए जा रहे हैं।
एनडीए के भीतर सीटों के इस जटिल खेल ने 2025 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर अस्थिरता की स्थिति पैदा कर दी है। जहां एक तरफ भाजपा सबको साथ रखने की कोशिश कर रही है, वहीं नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बीच बढ़ती खींचतान और अब उपेंद्र कुशवाहा का नाराज होना एनडीए के लिए सिरदर्द बन गया है।