जयपुर: अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने मंगलवार को जयपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए भारत और अमेरिका के बीच मजबूत रिश्तों पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह बेहद उचित है कि भारत इस साल क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। वेंस ने अपने संबोधन में स्वतंत्र, खुले, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के साझा हितों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह उचित है कि भारत इस साल क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है।
स्वतंत्र, खुले, शांतिपूर्ण और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे हित पूरी तरह से संरेखित हैं।” यह बयान क्वाड (जिसमें अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं) की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है, खासकर उस समय जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की जरूरत महसूस की जा रही है। वेंस अपनी पत्नी उषा वेंस और तीन बच्चों – इवान, विवेक और मिराबेल – के साथ जयपुर पहुंचे थे। उनकी यात्रा का मुख्य आकर्षण ऐतिहासिक आमेर किले का दौरा रहा।
इस दौरान आमेर किला, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, 24 घंटे के लिए पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। वेंस परिवार सोमवार रात दिल्ली से जयपुर पहुंचा और रमणीय रामबाग पैलेस में ठहरा। उनकी यात्रा का अगला पड़ाव 23 अप्रैल को आगरा होगा, जहां वे ताजमहल और शिल्पग्राम हस्तशिल्प गांव का दौरा करेंगे। इससे पहले, सितंबर 2024 में अमेरिका के विलमिंगटन, डेलवेयर में आयोजित चौथे क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में यह घोषणा की गई थी कि 2025 में भारत क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
इस सम्मेलन में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्वास्थ्य सुरक्षा, बुनियादी ढांचा विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई गई थी। वेंस के इस दौरे और बयान से भारत-अमेरिका संबंधों में एक नई गर्मजोशी देखने को मिल रही है। क्वाड के तहत दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अंडरसी केबल और डिजिटल बुनियादी ढांचे में 140 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है, ताकि क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित किया जा सके। इसके साथ ही, भारत ने मुंबई में एक क्षेत्रीय बंदरगाह और परिवहन सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है, जो क्वाड देशों के बीच बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा। यह कदम न केवल भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को भी नई दिशा देगा।