लखनऊ, : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की जमकर तारीफ की है। मीडिया को दिए एक विशेष साक्षात्कार में योगी ने RSS को दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन करार देते हुए कहा कि यह स्वैच्छिक संगठनों के लिए एक मॉडल है। उन्होंने कहा कि जो लोग RSS पर सवाल उठाते हैं, उन्हें इसकी शाखाओं में जाकर देखना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण और चरित्र निर्माण कैसे किया जाता है।
साक्षात्कार के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा, “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक संगठन है और स्वैच्छिक संगठनों के लिए एक आदर्श है। अगर आप राष्ट्र के प्रति समर्पण की शक्ति देखना चाहते हैं, तो स्वयंसेवकों से सीखें… दुनिया को सीखना चाहिए, और जो लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सवाल उठाते हैं, उन्हें उनकी शाखाओं में जाकर देखना चाहिए कि राष्ट्र निर्माण, चरित्र निर्माण कैसे किया जाता है और इसे एक निश्चित प्रक्रिया के साथ आगे कैसे ले जाया जाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि RSS किसी के प्रति पसंद-नापसंद नहीं रखता। “RSS उन लोगों को पसंद करता है जो भारत के प्रति वफादार हैं। जो लोग भारत के प्रति वफादार नहीं हैं, उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए RSS प्रेरित कर सकता है,”।
RSS के साथ योगी का रिश्ता
योगी आदित्यनाथ का RSS के साथ रिश्ता हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी ने कई मौकों पर RSS के साथ अपने संबंधों को लेकर बयान दिए हैं। हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि RSS के भीतर योगी को लेकर कुछ आशंकाएं भी रही हैं, क्योंकि वह संगठन की पारंपरिक प्रक्रिया से बाहर के नेता माने जाते हैं। फिर भी, उनकी हिंदुत्ववादी छवि और कठोर प्रशासनिक शैली ने RSS के कई सदस्यों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ाई है।
हिंदुत्व और विवादित मुद्दों पर योगी का रुख
योगी आदित्यनाथ ने हाल के दिनों में हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों पर अपनी स्पष्ट राय रखी है। जनवरी 2025 में उन्होंने संभल की शाही जामा मस्जिद जैसे विवादित ढांचों को लेकर कहा था कि इन्हें मस्जिद नहीं कहा जाना चाहिए और “विरासत को पुनः प्राप्त करना बुरी बात नहीं है।” उनकी यह टिप्पणी संभल में एक मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा के बाद आई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी।
RSS का वैचारिक आधार
1925 में स्थापित RSS एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जो “वसुधैव कुटुंबकम” (विश्व एक परिवार है) की विचारधारा को बढ़ावा देता है। संगठन का मुख्य उद्देश्य हिंदू समुदाय को एकजुट करना और हिंदुत्व की विचारधारा को मजबूत करना है। हालांकि, RSS को अक्सर इसके कट्टर हिंदुत्ववादी रुख के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ी है। संगठन को 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद, 1975-77 के आपातकाल के दौरान और 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद प्रतिबंधित किया गया था।
सियासी चर्चा में योगी
हाल के दिनों में योगी आदित्यनाथ का नाम राष्ट्रीय राजनीति में भी चर्चा में रहा है। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वह भविष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी के रूप में उभर सकते हैं। हालांकि, RSS के भीतर उनकी स्थिति को लेकर कुछ अंतर्विरोध भी सामने आए हैं, क्योंकि वह संगठन की पारंपरिक प्रणाली से बाहर के नेता माने जाते हैं। योगी के इस बयान से एक बार फिर RSS और हिंदुत्व की राजनीति पर बहस छिड़ने की संभावना है।