बिहार में जातिगत गणना के आंकड़े जारी होते ही राजनीति का सेंसेक्स अलग लेवल तक जाने को तैयार है। नीतीश-तेजस्वी की सरकार बनने से पहले बिहार में जातिगत गणना पर सर्वदलीय सहमति बनी थी। लेकिन काम शुरू हुआ नीतीश-तेजस्वी की सरकार में। कानूनी अड़चनों के कारण कुछ देरी हुई लेकिन अब गणना के जातीय आंकड़े सार्वजनिक हो चुके हैं। इन आंकड़ों के जारी होने पर I.N.D.I.A. के नेता और पार्टियां खुश दिख रही हैं। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इन आंकड़ों के जारी होने पर उत्साहित दिखे। एक तरह से उन्होंने नीतीश-तेजस्वी सरकार के इस फैसले को सामाजिक न्याय का नया अध्याय बताया। लेकिन अखिलेश के इस नए आधार को उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने खारिज कर दिया।
अखिलेश ने कहा – सामाजिक न्याय का गणितीय आधार
जातिगत गणना के आंकड़ों पर अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा कि “बिहार जाति आधारित जनगणना प्रकाशित : ये है सामाजिक न्याय का गणितीय आधार। जातिगत जनगणना 85-15 के संघर्ष का नहीं बल्कि सहयोग का नया रास्ता खोलेगी और जो लोग प्रभुत्वकामी नहीं हैं बल्कि सबके हक़ के हिमायती हैं, वो इसका समर्थन भी करते हैं और स्वागत भी। जो सच में अधिकार दिलवाना चाहते हैं वो जातिगत जनगणना करवाते हैं। भाजपा सरकार राजनीति छोड़े और देशव्यापी जातिगत जनगणना करवाए।”
अखिलेश ने यह भी लिखा कि “जब लोगों को ये मालूम पड़ता है कि वो गिनती में कितने हैं, तब उनके बीच एक आत्मविश्वास भी जागता है और सामाजिक नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ एक सामाजिक चेतना भी, जिससे उनकी एकता बढ़ती है और वो एकजुट होकर अपनी तरक़्क़ी के रास्ते में आनेवाली बाधाओं को भी दूर करते हैं, नये रास्ते बनाते हैं और सत्ताओं और समाज के परम्परागत ताक़तवर लोगों द्वारा किए जा रहे अन्याय का ख़ात्मा भी करते हैं। इससे समाज बराबरी के मार्ग पर चलता है और समेकित रूप से देश का विकास होता है। जातिगत जनगणना देश की तरक़्क़ी का रास्ता है। अब ये निश्चित हो गया है कि PDA ही भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।”
बर्क ने कहा- यह तो चुनावी रिपोर्ट है
दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने तो इस रिपोर्ट को गैर-जरुरी बता दिया। उन्होंने कहा कि “इस समय इस रिपोर्ट के क्या मायने के हैं? उन्होंने कहा कि आज इन आंकड़ों की क्या जरूरत पड़ी है? ये तो उन्हें 2024 का इलेक्शन दिखाई दे रहा है, उस इलेक्शन की वजह से ये सारे धंधे कर रहे हैं, इससे काम नहीं चलेगा।” बर्क ने आगे कहा कि “मुल्क को खिदमत चाहिए, मुल्क को विकास चाहिए, मुल्क को तालीम चाहिए, मुल्क में अच्छा निजाम चाहिए, ये तो कुछ है नहीं… अगर आप मुल्क चला रहे हैं तो आप बताइए कि मुल्क के लिए आपने क्या किया।”