यूपी के हाथरस (Hathras) के सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के गांव फुलरई में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मच गई थी। भगदड़ में अब तक लगभग 122 लोगों की मौत हो चुकी है। इस दर्दनाक घटना पर विपक्षी नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार और प्रशासन पर सुरक्षा को लेकर सवाल भी खड़े किये हैं। हादसे पर राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि क्या यह देश हादसों का देश बनकर नहीं रह गया है?
उन्होंने कहा कि एक दिन श्रद्धांजलि, दो लाख रुपए का मुआवज़ा फिर सामान्य जीवन। हमेशा की तरह व्यापार वाली जो सोच है, सरकारों को सरकार बनाने की चिंता है, सरोकार बनाने की चिंता नहीं है। कौन मरे हैं, साधारण लोग, कोई फर्क नहीं पड़ता। यही हमारी सोच और मानसिकता हो गई है। कल हादसा हुआ तो क्या प्रधानमंत्री को अपना भाषण नहीं रोकना चाहिए था? लगातार बोलते रहें, इसलिए मैं कहता हूं यह हादसों का देश है और किसी को कोई चिंता नहीं, कोई SOP नहीं। उन्हें बताइए कि सरकार का काम डुगडुगी बजाना नहीं होता है, सरकार का काम होता है लोगों को महफूज़ रखना।
यूपी के हाथरस में सत्संग में भगदड़… 122 की मौत, 150 से ज्यादा लोग घायल
वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि यह बहुत दर्दनाक है। जिन परिवारों के सदस्यों की जान गई है उन्हें दुख सहने की शक्ति मिले। जो हादसा हुआ है यह सरकार की लापरवाही है। ऐसा नहीं है कि सरकार को इस कार्यक्रम की जानकारी न हो। जब कभी भी इस प्रकार के कार्यक्रम होते हैं तो बड़ी संख्या में लोग इसमें शामिल होते हैं। इस लापरवाही से जो जानें गईं है उसकी ज़िम्मेदार सरकार है। कोई अगर अस्पताल पहुंच भी गया तो उन्हें पर्याप्त इलाज नहीं मिल पाया। ना ऑक्सीजन, ना दवाई, ना इलाज मिल पाया। इसकी ज़िम्मेदार भाजपा है जो बड़े-बड़े दावे करती है कि हम विश्वगुरु बन गए हैं। क्या अर्थव्यवस्था का मतलब यह है कि किसी आपातकाल स्थिति में आप लोगों का इलाज न कर पाएं?
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हाथरस की घटना पर शिवसेना(UBT) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह दुखद है जिस तरीके से यह घटना घटी है। मैं उम्मीद करती हूं कि राज्य सरकार कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगी। आयोजकों के साथ ही जो सत्संग करने वाले बाबा हैं उनपर भी कार्रवाई होनी चाहिए। आज कल हम देख रहे हैं कि लोगों की जान का कोई मोल नहीं है। शिवसेना(UBT) नेता संजय राउत ने कहा कि यह दुखद घटना है और पूरे देश में इस प्रकार की घटनाएं घटती हैं। महाराष्ट्र के नवी मुंबई में दो साल पहले इसी प्रकार का सत्संग हुआ था जिसमें गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी उपस्थित थे। उनके सामने भगदड़ मच गई, जिसमे 50 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हुई। इस सत्संग में किसी का नियंत्रण नहीं होता है। ये बाबा-महाराज लोगों को बुलाते हैं और प्रशासन हाथ खड़े कर देता है।
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हाथरस की घटना पर JMM सांसद महुआ माजी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपुर्ण है, महिला सशक्तिकरण, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का दावा करने वाली केंद्र सरकार कहीं से भी महिलाओं को सुरक्षित नहीं रख पा रही है। धर्म के नाम पर राजनीति करते हैं। जब संख्या से अधिक लोग वहां पहुंचे तो प्रशासन को इस पर संज्ञान लेना चाहिए था। भाजपा सोचती है कि जनता को धर्म का अफीम पिलाकर चुनाव जीत जाएंगे, ऐसा नहीं हो सकता है।