नई दिल्ली: गुरुग्राम जमीन सौदा मामले में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निशाने पर हैं। बुधवार को वाड्रा ने ED के समन पर दिल्ली में पेश होकर करीब 10 घंटे तक पूछताछ का सामना किया। यह इस मामले में उनकी 16वीं पेशी थी। पूछताछ के बाद वाड्रा ने मीडिया से बात करते हुए इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया। उन्होंने कहा, “मैं हैरान हूं कि एक ही मामले में बार-बार बुलाया जा रहा है।
मैं अब तक 15 बार पेश हो चुका हूं और 23,000 दस्तावेज सौंप चुका हूं। यह एजेंसियों के दुरुपयोग का स्पष्ट उदाहरण है।”वाड्रा ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई उन्हें और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को निशाना बनाने की साजिश का हिस्सा है। गौरतलब है कि यह मामला 2012 में उस समय चर्चा में आया था, जब इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन के दौरान वाड्रा पर राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग कर ज़मीन सौदे में अनुचित लाभ लेने के आरोप लगे थे। यह जांच ऐसे समय पर तेज़ हुई है जब ED ने हाल ही में नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को भी चार्जशीट में नामित किया है।
राजनीति बनाम जांच एजेंसी?
ED की कार्रवाई पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2022 तक ED ने 121 हाई-प्रोफाइल छापे मारे, जिनमें से 95% मामलों में विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया गया। सोशल मीडिया पर भी कई यूज़र्स ने वाड्रा के खिलाफ कार्रवाई को “चुनावी रणनीति” करार दिया है, खासकर तब जब देश में चुनावी माहौल तेज़ है। ED ने वाड्रा को अगले दिन दोबारा पूछताछ के लिए बुलाया है। ऐसे में यह मामला और भी राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या यह जांच भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्ती है या फिर विपक्ष को दबाने की रणनीति? इसका जवाब समय ही देगा।