BOKARO/CHATRA: देशभर में वट सावित्री की पूजा बड़े ही धूमधाम से मनाई जा रही है। सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का पूजा कर अपने पति की लंबी आयु और अखण्ड सौभाग्य के लिए पूजा अर्चना करती है और फिर मान्यताओ के अनुसार वट वृक्ष की विधि-विधान के साथ पूजा करती हैं। इस व्रत का महत्व करवा चौथ जैसा ही है। स्नान ध्यान के बाद महिलाएं नए वस्त्र धारण कर हाथों में पूजा की थाली लिए वट वृक्ष की पूजा करती है ,जहां जल, सिदूर, हल्दी, गुड़, भींगा चना, मटर, फल व प्रसाद से विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सत्यवान व सावित्री की कथा सुनती है । कथा सुनने के बाद महिलाओं वट वृक्ष का 108 बार परिक्रमा कर अमर सुहाग की कामना करती है ।
व्रत करने से अल्पायु पति दीघार्यु हो जाता

पर्व की महता पर पुरोहित ने कहा कि वट सावित्री पूजा सुहागिनों के अखंड सौभाग्य प्राप्त करने का प्रमाणिक और प्राचीन व्रत है। धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि व्रत करने से अल्पायु पति भी दीघार्यु हो जाता है। उन्होंने बताया कि जब सतवाहन की आत्मा को यमराज लेने पहुंचे थे, तब उनकी पत्नी सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी। यमराज के काफी समझाने के बाद भी जब वह वापस नहीं लौटी, तब विवश होकर यमराज ने सतवाहन के आत्मा का प्रवेश उसके मृत शरीर में करवा दिया। उसी समय सावित्री ने वट सावित्री की पूजा की थी।
कब मनाई जाती है पर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई यानी कल रात 09 बजकर 42 मिनट से शुरू है और इसका समापन 19 मई आज रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, वट सावित्री व्रत इस बार 19 मई यानी आज ही रखा जा रहा है। इस व्रत में महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और घर की सुख समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती है। ये व्रत साल में एक बार अमावस्या तिथि को रखा जाता है।