लोकसभा में तीखे राजनीतिक टकराव और भारी हंगामे के बीच सरकार ने ‘वीबी जी रामजी बिल’ (VB G Ramji Bill) को पारित करा लिया। सदन की कार्यवाही के दौरान स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर विपक्षी सांसदों ने कागज भी उछाल दिए। यह बिल औपचारिक रूप से विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025 के नाम से लाया गया है, लेकिन विपक्ष इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा के अस्तित्व पर सीधा हमला बता रहा है।
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने बिल पर तीखा विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि सरकार भले ही इसे रोजगार बढ़ाने की गारंटी बता रही हो, लेकिन असल में यह मनरेगा को धीरे-धीरे समाप्त करने का रास्ता है। उनके अनुसार बिल में 100 से 125 दिन रोजगार देने की बात एक तरह की “चालाकी” है, क्योंकि इसका पूरा आर्थिक बोझ भविष्य में राज्यों पर डाल दिया जाएगा। जैसे ही राज्य सरकारों पर खर्च का दबाव बढ़ेगा, यह योजना व्यावहारिक रूप से बंद हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि कई राज्यों के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वे इस अतिरिक्त वित्तीय जिम्मेदारी को निभा सकें।
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कांग्रेस की ही सांसद रंजीत रंजन ने बिल के वित्तीय ढांचे पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने केंद्र और राज्य के बीच 60-40 प्रतिशत का नया अनुपात तय कर दिया है। पहले जहां मनरेगा में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत तक खर्च उठाती थी, अब 40 प्रतिशत राशि राज्यों को देनी होगी। उन्होंने याद दिलाया कि जब कांग्रेस ने 2006 में मनरेगा लागू किया था, तब इसका उद्देश्य गरीब राज्यों से हो रहे पलायन को रोकना था। ऐसे में अगर कोई राज्य आर्थिक रूप से कमजोर है तो वह अतिरिक्त 40 प्रतिशत धन कहां से लाएगा। उनके मुताबिक यह बदलाव एक सोची-समझी रणनीति है ताकि गरीब राज्यों में योजना खुद-ब-खुद बंद हो जाए।
राजद सांसद सुधाकर सिंह ने तो इस विधेयक को महात्मा गांधी की आत्मा के साथ अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि यदि योजना में कोई तकनीकी सुधार करना था तो नाम बदलने की क्या जरूरत थी। उनका आरोप है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनरेगा को खत्म करना चाहते थे, लेकिन व्यापक विरोध के चलते उन्होंने तब इसे “कांग्रेस की असफलताओं का स्मारक” कहकर बनाए रखने की बात कही थी। अब दस साल बाद वही सोच इस बिल के जरिए सामने आ गई है और महात्मा गांधी के नाम से जुड़ी योजना को समाप्त कर दिया गया है। सुधाकर सिंह ने चेतावनी दी कि इस मुद्दे पर INDIA गठबंधन के सभी दल मिलकर संघर्ष करेंगे।





















