विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में मतदाता सूची के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) अभियान चलाया जाएगा। अयोग्य नामों को हटाने और सभी पात्र नागरिकों को मतदाता सूची में सम्मिलित करने के उद्देश्य से इसका निर्णय भारत निर्वाचन आयोग ने लिया है। इस अभियान के अंतर्गत घर-घर जाकर मतदाता सूची के सत्यापन का काम एक जुलाई से शुरू होगा और मतदाता-सूची का अंतिम प्रकाशन 30 सितंबर को होगा।
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लगभग 22 वर्ष बाद बिहार में मतदाता सूची के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है। इससे पहले बिहार में पिछला गहन पुनरीक्षण वर्ष 2003 में हुआ था। मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोपों के बीच निर्वाचन आयोग चाहता है कि चुनावी प्रक्रिया पूर्णतया पारदर्शी हो और हर पात्र व्यक्ति बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान करे।

इसी उद्देश्य से यह प्रकिया शुरू हो रही है। इसके अंतर्गत मतदान केंद्र पदाधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर सत्यापन करेंगे। अब तक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा अब तक अपने स्तर पर पात्रता की जांच की जाती रही है। अब पारदर्शिता के उद्देश्य से ईआरओ द्वारा प्राप्त दस्तावेजों को निर्वाचन आयोग के पोर्टल पर अपलोड किया जाए।
क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण?
- संविधान के अनुच्छेद 326 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, और
जो अर्हक तिथि को 18 वर्ष से कम आयु का नहीं है, और किसी भी कानून के तहत अन्यथा अयोग्य (निरर्हित) नहीं है,निर्वाचक नामावली में पंजीकृत होने का हकदार होगा। - संविधान के अनुच्छेद 324 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 21 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार राज्य में 01.07.2025 को अर्हक तिथि मानते हुए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का निदेश दिया है।
- बिहार में पिछला गहन पुनरीक्षण आयोग द्वारा वर्ष 2003 में 01.01.2003 को अर्हक तिथि मानते हुए किया गया था।
यह क्यों आवश्यक है?
•स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए निर्वाचक नामावली (ईआर) की सत्यनिष्ठा बनाए रखना आवश्यक है
- यह सुनिश्चित करना कि सभी पात्र नागरिक निर्वाचक नामावली में शामिल हों और कोई भी पात्र मतदाता निर्वाचक नामावली से बाहर न हो
- यह सुनिश्चित करना कि कोई भी अपात्र मतदाता निर्वाचक नामावली में शामिल न हो
- मृत/स्थानांतरित/अनुपस्थित मतदाताओं के नाम हटाना
कैसे किया जाएगा?
- ईआरओ आदेश की तिथि तक सभी मौजूदा निर्वाचकों के लिए पहले से भरे हुए गणना फॉर्म (Enumeration Form-EF) को प्रिंट करेंगे और इसे बीएलओ को देंगे
- बीएलओ घर-घर जाकर सभी मौजूदा निर्वाचकों को ईएफ वितरित करेंगे
- ईएफ आयोग की वेबसाइट/ईसीआई-नेट पर उपलब्ध होगा जिसे कोई भी निर्वाचक डाउनलोड कर सकता है जिसका नाम आदेश की तिथि को निर्वाचक नामावलियों में मौजूद है
- सभी मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बीएलए पूरी प्रक्रिया में सहभागी (शामिल) होंगे
- बीएलओ ईएफ भरने के बारे में लोगों का मार्गदर्शन करेंगे
- सीईओ/डीईओ/ईआरओ/बीएलओ यह ध्यान रखेंगे कि वास्तविक निर्वाचकों, विशेषकर वृद्ध, बीमार, दिव्यांगजनों (पीडब्ल्यूडी), गरीब और अन्य कमजोर समूहों को परेशान न किया जाए और उन्हें वॉलंटियर्स की तैनाती के माध्यम से यथासंभव सुविधा प्रदान की जाए।
- बीएलओ जनता से आवश्यक दस्तावेजों के साथ ईएफ एकत्र करेंगे
- वैकल्पिक रूप से, मौजूदा निर्वाचक भी ईएफ और दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं
- बीएलओ पर्यवेक्षक बीएलओ के गुणात्मक और मात्रात्मक आउटपुट की जांच करेंगे
- उन सभी निर्वाचकों की ड्राफ्ट निर्वाचक नामावली तैयार की जाएगी, जिनके ईएफ प्राप्त हो चुके हैं
- ड्राफ्ट निर्वाचक नामावली की प्रतियां सभी मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाएंगी और ईसीआई/सीईओ की वेबसाइट पर भी डाली जाएंगी
- किसी भी निर्वाचक या किसी भी राजनीतिक दल द्वारा किन्हीं भी नामों को जोड़ने/हटाने के लिए दावे और आपत्तियां दायर की जा सकती हैं
- एईआरओ किसी भी पात्र व्यक्ति के नाम हटाए जाने या किसी भी अपात्र व्यक्ति को शामिल करने की किसी भी शिकायत की जांच करेगा
- दावों और आपत्तियों पर निर्णय के बाद, ईआरओ द्वारा अंतिम निर्वाचक नामावली प्रकाशित की जाएगी
- अंतिम निर्वाचक नामावली की प्रतियां सभी मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय और राज्यीय राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाएंगी और ईसीआई/सीईओ की वेबसाइट पर भी डाली जाएंगी
- अधिनियम की धारा 24 के तहत, ईआरओ के आदेश के विरुद्ध प्रथम अपील जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष तथा द्वितीय अपील मुख्य निर्वाचन अधिकारी के समक्ष भी की जा सकती है।