भारत के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मंगलवार को मुजफ्फरपुर में एल. एन. मिश्रा कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के स्थापना दिवस समारोह में सम्मिलित हुए। इस खास मौके पर उन्होंने बिहार की सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत की सराहना करते हुए स्वर्गीय डॉ. जगन्नाथ मिश्रा को श्रद्धांजलि दी और उनके योगदानों को ऐतिहासिक बताया। अपने प्रेरणादायक संबोधन में उप राष्ट्रपति ने कहा, “बिहार की धरती धर्म, ज्ञान और क्रांति की भूमि रही है। इसने न केवल देश को मार्गदर्शन दिया, बल्कि कई महान चिंतक, मनीषी और क्रांतिकारी भी दिए हैं।” उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भी जमकर प्रशंसा करते हुए इसे “शिक्षा जगत में परिवर्तनकारी पहल” बताया।

उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि जब बात सामाजिक न्याय की आती है बिहार को कैसे भूल सकते हैं! मेरा सौभाग्य था कि मैं केंद्र में मंत्री था जब मंडल आयोग को लागू किया गया। मेरा परम सौभाग्य था कि आज मैं भारत का उपराष्ट्रपति और राज्य सभा का सभापति हूं जब कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न दिया गया। कल का दिन, 25 जून आज से 50 साल पहले बड़ा काला दिवस था। आपातकाल की काली छाया ने प्रजातांत्रिक मूल्यों को एकदम ख़त्म कर दिया। उसकी जागृति कहाँ से उठी? श्री जयप्रकाश नारायण उन्होंने शुरुआत की, सम्पूर्ण क्रांति। मुझे ऐसी भूमि में आकर बहुत अच्छा लगता है। तय किया गया है कि 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा।

जब सोमनाथ मंदिर की बात आती है, तो आपके सपूत की याद आती है। पहले तो भारत के पहले उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने उसको नया रूप देने में बड़ी भूमिका निभाई। पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 1951 में सोमनाथ मंदिर का उद्घाटन किया। कुछ लोगों ने आपत्ति की, पर आपका सपूत डटा रहा, ऐसे ही डटा रहा जैसे संविधान सभा के अध्यक्ष के रूप में डटा रहा। उन्होंने संविधान सभा को एक नया आयाम दिया।
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धनखड़ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ अपने पुराने संसदीय अनुभवों को याद करते हुए उनकी कार्यशैली की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने पहलगाम यात्रा और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी उल्लेख किया, जिनसे उनका व्यक्तिगत और भावनात्मक जुड़ाव रहा है। उप राष्ट्रपति ने आपातकाल के दौर को याद करते हुए कहा, “भारत के लोकतंत्र पर उस समय गंभीर संकट था, लेकिन जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चली संपूर्ण क्रांति ने देश को लोकतांत्रिक ऊर्जा से भर दिया।” उन्होंने बिहार की जनता की राजनीतिक चेतना, उत्साह और ज्ञान की भी विशेष रूप से प्रशंसा की।