नई दिल्ली | भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने एक बार फिर सुर्खियां बटोर ली हैं। माल्या ने हाल ही में एक पॉडकास्ट में कहा कि वह भारत लौटने पर विचार कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने सरकार के सामने एक बड़ी शर्त रख दी है। माल्या ने साफ कहा कि वह तभी भारत आएंगे, जब उन्हें निष्पक्ष सुनवाई का भरोसा दिया जाएगा।
विजय माल्या, जो किंगफिशर एयरलाइंस के ₹9000 करोड़ के लोन डिफॉल्ट मामले में 2016 से भारत से बाहर हैं, ने पॉडकास्ट में कई मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, “अगर मुझे निष्पक्ष सुनवाई का भरोसा दिया जाता है, तो मैं इस पर गंभीरता से विचार करूंगा। लेकिन भारत में हिरासत की स्थिति यूरोपियन कन्वेशन ऑन ह्यूमन राइट्स (ECHR) के आर्टिकल 3 का उल्लंघन करती है, जैसा कि ब्रिटेन की अपीलीय हाईकोर्ट ने भी कुछ मामलों में कहा है।”
माल्या ने खुद को “चोर” कहे जाने पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “मैं मार्च 2016 में पहले से तय यात्रा पर भारत से निकला था। मैं भागा नहीं था। अगर आप मुझे भगोड़ा कहना चाहते हैं, तो कहें, लेकिन चोरी का क्या मतलब है? मैंने बैंकों को उनके बकाया से ज्यादा राशि लौटा दी है।” हालांकि, 2023 में सीबीआई की चार्जशीट में माल्या पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने लोन की राशि को यूरोपीय संपत्तियों और एक स्विस ट्रस्ट में डायवर्ट किया था।
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब माल्या को कानूनी मोर्चे पर लगातार झटके लग रहे हैं। अप्रैल 2025 में लंदन हाईकोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अगुवाई वाले भारतीय बैंकों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें माल्या के खिलाफ दिवाला कार्यवाही को बरकरार रखा गया। यह कार्यवाही किंगफिशर एयरलाइंस के बकाया कर्ज की वसूली के लिए शुरू की गई थी, जो 2012 में बंद हो गई थी।
माल्या के भारत लौटने की संभावना पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। जहां कुछ का मानना है कि यह एक रणनीतिक बयान हो सकता है, वहीं अन्य इसे भारत सरकार और बैंकों पर दबाव बनाने की कोशिश मान रहे हैं। माल्या फिलहाल ब्रिटेन में हैं, और भारत सरकार उन्हें प्रत्यर्पित करने की कोशिश में जुटी है।
इस मामले में आगे क्या होगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन माल्या का यह बयान एक बार फिर चर्चा का केंद्र बन गया है।,