Vijay Sinha action: बिहार की सियासत और प्रशासन में इन दिनों एक नाम लगातार चर्चा में है, उपमुख्यमंत्री और राजस्व व भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा। जमीन से जुड़े मामलों को लेकर जिस तरह उन्होंने मोर्चा खोला है, उसने साफ कर दिया है कि अब फाइलों में दबे विवाद, भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी पर सख्त कार्रवाई तय है। मुजफ्फरपुर में आयोजित जनता दरबार में विजय सिन्हा का अंदाज पूरी तरह एक्शन मोड वाला नजर आया, जहां उन्होंने सीधे आम लोगों से संवाद कर समस्याएं सुनीं और मौके पर ही अधिकारियों को फैसले लेने के निर्देश दिए।
मुजफ्फरपुर विश्वविद्यालय परिसर स्थित श्रीकृष्ण सिंह प्रेक्षागृह में आयोजित जनता दरबार में दूर-दराज के इलाकों से हजारों फरियादी पहुंचे थे। किसी की जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत थी तो कोई वर्षों से दाखिल-खारिज के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा था। विजय सिन्हा ने साफ शब्दों में कहा कि भूमि विवाद बिहार के गरीब और मध्यम वर्ग के लिए सबसे बड़ा सामाजिक संकट बन चुका है और सरकार इसे अब और लंबा नहीं खींचेगी।
जनता दरबार के दौरान जब मुशहरी प्रखंड के सतपुरा इलाके के राजस्व कर्मचारी राकेश कुमार की गंभीर लापरवाही सामने आई, तो उपमुख्यमंत्री ने बिना किसी हिचक के तत्काल निलंबन का आदेश दे दिया। यह कार्रवाई केवल एक अफसर पर गिरी गाज नहीं थी, बल्कि पूरे राजस्व तंत्र के लिए एक स्पष्ट चेतावनी थी कि अब लापरवाही, रिश्वतखोरी और टालमटोल की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।
विजय सिन्हा ने डीसीएलआर, सीओ और अन्य राजस्व अधिकारियों को चेताते हुए कहा कि जनता का काम प्राथमिकता है, न कि फाइलों को इधर-उधर घुमाना। उन्होंने निर्देश दिया कि हर भूमि विवाद की समयबद्ध समीक्षा हो और जरूरत पड़ने पर मौके पर जाकर समाधान निकाला जाए। उनका जोर इस बात पर रहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही ही सिस्टम को सुधार सकती है।
प्रशासनिक स्तर पर भी जनता दरबार के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर फरियादियों की सुविधा तक पर खास ध्यान रखा गया, ताकि कोई भी व्यक्ति अपनी बात रखने से वंचित न रह जाए। उपमुख्यमंत्री ने कई मामलों में अधिकारियों से सीधे जवाब मांगे और स्पष्ट कहा कि अगर अगली सुनवाई में प्रगति नहीं दिखी, तो जिम्मेदारी तय होगी।






















