बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हाल ही में आयोगों के गठन में पारदर्शिता और योग्यता की अनदेखी को लेकर जो सवाल उठाए हैं, वह राज्य की राजनीति में एक अहम बहस को जन्म दे चुके हैं। तेजस्वी ने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा कि आखिर क्यों हालिया आयोगों में कुछ खास व्यक्तियों के दामादों को ही प्राथमिकता दी जा रही है? अब ‘जमाई आयोग’ के इस सवाल पर सत्ता पक्ष की ओर से जवाब दिया जा रहा है।
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इस पर उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने तेजस्वी यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें अपने पिता लालू प्रसाद यादव से पूछना चाहिए कि वे अपने समय में किसे किस पद पर बैठाते थे। उन्होंने परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा जनता के हित में पारदर्शिता और निष्पक्षता से काम किया है। उन्होंने कहा कि यह राजद की मानसिकता रही है कि अपने अगल-बगल के लोगों को सत्ता सुख का लाभ देते थे। नीतीश कुमार इन सभी चीजों से परहेज करते हैं।
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वहीं उन्होंने लालू यादव द्वारा कथित रूप से बाबा साहब आंबेडकर के अपमान के सवाल पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि लालू यादव कभी दलितों का सम्मान नहीं किये। वह गरीबों के चारा खा जाते हैं। उनके मन मस्तिष्क में संविधान का सम्मान नहीं है। राजद को विकास से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें जातीय उन्माद फैलाना है। ऐसे लोगों से विकास की अपेक्षा रखना बेकार है।